
Nirbhaya Case 7 years
नई दिल्ली। निर्भया केस (Nirbhaya Case) के चारों दोषियों (accused) को फांसी के कटघरे तक ले जाने की मांग तेज हो गई है। हर कोई राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका के खारिज होने का इंतजार कर रहा है। पहले दोषियों को 16 दिसंबर को फांसी (Fasi) के फंदे पर लटकाए जाने की उम्मींद थी क्योंकि इसी दिन वहशियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार की थीं। उन्होंने बस नंबर 0149 में अपने गलत मंसूबों को अंजाम दिया था। आज भी इस बस नंबर को याद करते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
निर्भया कांड के कल सात साल पूरे हो जाएंगे। मगर आज भी लोगों को इंसाफ का इंतजार है। 16 दिसंबर की रात को आरोपियों ने यादव ट्रैवल्स के बस नंबर 0149 में वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म (gang raped) की वारदात को अंजाम दिया गया था। घटना के बाद से इस बस को सागरपुर स्थित पिट में छिपाकर रखा हुआ है। इससे पहले बस को करीब दो साल तक त्यागराज स्टेडियम और वसंत विहार समेत कई अलग-अलग जगहों पर छिपाकर रखा हुआ था। बस अब खटारा हालत में है।
ये बस वारदात से पहले नोएडा से सवारी लेकर जाया करती थी। इसके अलावा ये एक स्कूल के लिए सेवा देती थी। बस का ड्राइवर रविदास कैंप में रहने वाला रामसिंह था। वारदात वाले दिन वह अन्य आरोपियों को लेकर मुनिरका बस स्टैंड पर पहुंचा था। पीड़ित युवक व निर्भया इस बस में द्वारका जाने के लिए बैठे थे। तभी आरोपियों ने चलती बस में पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके बाद पीड़ित लड़के और लड़की को एनएच-8 पर फेंक दिया था। सामूहिक दुष्कर्म की जांच के लिए बनी एसआईटी के एक सदस्य ने बताया कि बस से पुलिस को आरोपियों का ब्लड सैंपल व अन्य नमूने मिले थे। इनकी डीएनए जांच कराई गई थी। उनके मुताबिक इस बस को देखते ही आज भी पुलिसवालों का खून खौल उठता है।
Updated on:
15 Dec 2019 10:59 am
Published on:
15 Dec 2019 10:58 am
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