
नई दिल्ली। कहते हैं जब मौत आती है तब व्यक्ति को अपने किए गए सभी बुरे कामों की याद आती है और पछतावा होता है। इसी दौरान वो भगवान से जुड़ी बातों पर भी यकीन करने लगता है। ऐसा ही कुछ निर्भया रेप कांड के दोषियों के साथ भी हो रहा है। मरने से पहले अब उन्हें वेद-पुराणों (Ved Puran) में लिखी गई बातें ध्यान आ रही हैं। इतना ही नहीं वो फांसी से बचने के लिए अजीबो-गरीब तर्क भी दे रहे हैं।
निर्भया कांड (Nirbhaya Case) के दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका (Review Petition) में वेद पुराणों का जिक्र करते हुए कुछ दलीलें दी हैं। दलील में लिखा है कि सरकार को सिर्फ यह साबित करने के लिए लोगों को फांसी नहीं देनी चाहिए कि वह आतंकी या महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अपराध में शामिल है। बल्कि उसे बदलाव के लिए सुनियोजित तरीके से सुधार के लिए काम करना चाहिए। फांसी से सिर्फ अपराधी मरता है, अपराध नहीं।
याचिका में वेद पुराणों का हवाला देते हुए कहा कि मौत की सजा क्यों? जब मनुष्य की आयु कम हो रही है। सतयुग में मनुष्य हजार साल जीता था। द्वापर में सौ साल, लेकिन कलयुग में नहीं। इस युग में मनुष्य की उम्र 50-60 साल ही रह गई है। कलयुग में बहुत ही कम लोग ऐसे होंगे जो शायद ही 100 साल जिये। दलील में यह भी कहा गया कि जब एक व्यक्ति जीवन की कड़वी सच्चाई का सामना करता है और विपरीत परिस्थिति से गुजरता से है तो वह जिंदा लाश की तरह ही होता है। ऐसे में फांसी देने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
Updated on:
12 Dec 2019 09:51 am
Published on:
12 Dec 2019 09:50 am
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