
हल्दी, नीम और नींबू से बनाया गया इको फ्रेंडली पैड, चेन्नई की प्रीती रामदौस बनीं तमिलनाडु की 'पैडवुमन'
नई दिल्ली। हम सभी इस बात को जानते हैं कि पीरियड्स एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है। भले ही इसके बारे में पहले लोग बात तक करने से कतराते थे, लेकिन इसमें शर्माने जैसी कोई बात नहीं है। आज लोग खुलकर इसके बारे में बात करते हैं जिससे समाज में कुछ हद तक जागरुकता फैल रही है। हालांकि इस विषय में अभी और जानने की आवश्यकता है।
गांवों में महिलाओं को अभी भी इस बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है जिसके चलते उन्हें इन दिनों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग हैं, कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो इस विषय में औरतों को सचेत कर उनकी भलाई करने में निरंतर मदद करती रहती हैं। एक ऐसी ही लड़की का जिक्र आज हम करने जा रहे हैं जिन्होंने बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड बनाकर सबको चौंका दिया है। यानि कि इनका रासायनिक विघटन संभव है।
तमिलनाडु में रहने वाली इस होनहार लड़की का नाम प्रीति रामदौस हैं। प्रीति ने इको फ्रेंडली सेनेटरी नेपकिन्स बनाकर एक नई पहल की शुरूआत की हैं। प्रीति अन्ना विश्वविद्यालय के क्रिस्टल ग्रोथ सेंटर विभाग की एक स्कॉलर हैं। प्रीति का कहना है कि महिलाओं को इन दिनों जिन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और उनकी इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए प्रीति ने इसका आविष्कार किया है। इसके साथ ही प्रीती को पर्यावरण से बेहद लगाव है और इस वजह से उन्हें इको फ्रेंडली पैड बनाने की प्रेरणा मिलीं।
नैचुरल चीजों को मिलाकर इसे बनाया गया। पैड को बनाने में हल्दी, नीम, नींबू के सत्त इत्यादि चीजों का इस्तेमाल किया गया है जिससे इनका विघटन आसानी से और जल्द हो जाएगा और तो और इन पैड्स को टॉयलेट में भी फ्लश किया जा सकेगा। इसके साथ ही महिलाओं को इससे संक्रमण की समस्या भी नहीं होगी क्योंकि यह बिल्कुल सेफ है।
इन बायोडिग्रेडेबल पैड्स को बनाने का एक ही उद्देश्य था और वह यह था कि जो महिलाएं माहवारी के दिनों में सेनेटरी नेपकिन का उपयोग आर्थिक कारणों के चलते नहीं कर पाती हैं उन्हें 'स्वच्छ, स्वास्थ्य और सुविधा' सुनिश्चित कराना था।
Updated on:
12 Mar 2019 10:09 am
Published on:
12 Mar 2019 10:07 am
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