Solar Eclipse 2020: सूर्य ग्रहण के बाद ये 5 काम करना होता है बेहद शुभ, आज़माए ये आसान से उपाय
सूर्य ग्रहण ग्रहण (Solar Eclipse )के दौरान कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। इन दौरान राहु और केतु का प्रकोप रहता है, जिससे बने काम भी बिगड़ जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के पीछे राहु-केतु जिम्मेदार होते हैं। इन दो ग्रहों की सूर्य और चंद्र से दुश्मनी बताई जाती है।
जानिए क्या है कथा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय पर दैत्यों ने तीनों लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था। यहां तक की इंद्र से उनकी गद्दी भी छीन ली। इसके बाद देवताओं ने तीनों लोक को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु का आह्वान किया ।
इसके बाद भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने देवताओं को क्षीर सागर का मंथन करने की बात कही। मंथन शुरू हुआ। इस मंथन से तमाम चीजों के अलावा अमृत भी निकला। अब अमृत के लिए देवता और दैत्यों में फिर युद्ध छिड़ गया। इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण कर एक तरफ देवता और एक तरफ असुरों को बिठा दिया और कहा कि बारी-बारी सबको अमृत मिलेगा। यह सुनकर एक असुर देवताओं के बीच वेश बदल कर बैठ गया, लेकिन चंद्र और सूर्य उसे पहचान गए और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी, लेकिन तब तक भगवान उसे अमृत दे चुके थे।
और अमृत उसकेगले तक पहुंचा था कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से असुर के धड़ को सिर से अलग कर दिया, लेकिन तब तक उसने अमृतपान कर लिया था। हालांकि, अमृत गले से नीच नहीं उतरा था, लेकिन उसका सिर अमर हो गया। सिर राहु बना और धड़ केतु के रूप में अमर हो गया। भेद खोलने के कारण ही राहु और केतु की चंद्र और सूर्य से दुश्मनी हो गई।
मान्यता है कि कालांतर में राहु और केतु को चन्द्रमा और पृथ्वी की छाया के नीचे स्थान प्राप्त हुआ है। उस समय से राहु, सूर्य और चंद्र से द्वेष की भावना रखते हैं, जिससे ग्रहण पड़ता है।