कोरोना का तोड़ ढूंढने में लगे चीन को नहीं मिल पा रहे ट्रायल के लिए मरीज, जानें क्यों
कंपनी ने अपने बयान में बताया कि उसने एलेक्सीस एंटी-सार्स-सीओवी-टू इम्युनोएसी तैयार किया है। इससे खून के सैम्पल की जांच कर पता किया जा सकता है कि कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद आखिरकार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय हुई थी भी या नहीं।
इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि इसका सबसे अधिक फायदा मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को मिल सकेगा। जिससे कि मरीजों का इलाज कर रहे स्टाफ का नियमित एंटीबॉडी टेस्ट ( Antobody Test ) होने से उनके सुरक्षित रहने या संक्रमण से बचाव की संभावना अधिक रहेगी।
कंपनी के दावे के मुताबिक कोरोना की इम्युनिटी के बारे में जितनी अधिक जानकारी मिलेगी उतना ही ज्यादा इससे बचाव की संभावना भी बढ़ जाएगी बढ़ेगी। रॉश इसके लिए अमेरिकी एजेंसी के साथ काम कर रही है। कंपनी ने जून के आखिर तक लाखों लोगों का एंटीबॉडी टेस्ट करने का लक्ष्य रखा है।