नई दिल्ली। एक प्यार का नगमा है गाना गाकर रातों-रात सुर्खियों में आईं रानू मंडल आज जहां बुलंदियों के शिखर पर हैं। वहीं इस गीत को लिखने वाले संतोष आनंद गुमनामी के अंधेरों में जीने को मजबूर हैं। उनके पास न तो ठीक से रहने को छत है और न ही उन्हें दो जून की रोटी नसीब होती है। बॉलीवुड इंडस्ट्री को इतना सुपरहिट गाना देने वाले संतोष की आज कोई सुध लेने वाला तक नहीं है।
संतोष आनंद ने ‘मैं ना भूलूंगा’, ‘तेरा साथ है तो’, ‘मेघा रे मेघा’ जैसे सैकड़ों लोकप्रिय गीत लिखे हैं। मगर साल 1995 के बाद से उन्होंने गाने लिखना बंद कर दिए। बताया जाता है कि बेटे और बहू की मौत के बाद से वे बिल्कुल टूट गए थे। उन्होंने खुद को घर की चार दीवारी में कैद कर लिया था। वे कहीं आते-जाते नहीं थे। हालांकि बाद में कुछ दोस्तों के कहने पर मंच पर दोबारा गीतों को सुनाना शुरू किया।
आनंद इस वक्त 79 साल के हैं। वे चलने में असमर्थ हैं। ऐसे में वे व्हील चेयर से कार्यक्रमों में जाते हैं। उनके लिखे मशहूर गीत एक प्यार का नगमा है गाना गाकर सोशल मीडिया पर रानू मंडल के हिट होने के बाद से आनंद को सैकड़ों फोन आने लगे। लोग दोबारा उन्हें याद करने लगे। मगर एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे रानू की गायकी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनके पास स्मार्टफोन तक नहीं है। ऐसे में वो रानू का गाया गाना देख और सुन नहीं सकते हैं।
Home / Hot On Web / रानू मंडल को सुपरस्टार बनाने वाले संतोष आनंद गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर