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श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती: इस महान नेता का था कश्‍मीर पर ये प्‍लान, श्रीनगर में हुई मौत का ‘अनसुलझा’ रहस्य

Syama Prasad Mukherjee Birthday: 6 जुलाई, 1901 में हुआ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म अनुच्छेद 370 के हमेशा थे खिलाफ, रहस्यमय परिस्थितियों में हुई थी मृत्यु

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Shyama Prasad Mukherjee Jayanti: know why he was against article 370

श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती: इस महान नेता का था कश्‍मीर पर ये प्‍लान, श्रीनगर में हुई मौत का 'अनसुलझा' रहस्य

नई दिल्ली। भारतीय इतिहास में दर्ज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ( Dr. Shyama Prasad Mukherjee ) वो महान नेता थे जिन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। जनसंघ ही आज बीजेपी के नाम से जाना जाता है। उन्हें आज भी एक प्रखर राष्ट्रवादी और कट्टर देशभक्त के रूप में याद किया जाता है। 6 जुलाई, 1901, कोलकाता ( Kolkata ) में जन्में श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि वे मृत्यु के बाद भी वे अपने सिद्धांतों के लिए याद किए जाते हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, उनका एक नारा सबसे प्रबल माना जाता था वो था "एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान, नहीं चलेगा- नहीं चलेगा।"

अनुच्छेद 370 जब जम्मू कश्मीर में लागू होने वाला था तो डॉ. मुखर्जी ने उसका बहुत विरोध किया था। इस अनुच्छेद के तहत भारत सरकार से बिना परमिट लिए कोई भी जम्मू-कश्मीर में प्रवेश नहीं कर सकता था। डॉ. मुखर्जी इस प्रावधान के हमेशा खिलाफ रहे। वे जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा अडिग रहे। उनका मानना था कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का एक अविभाज्य हिस्सा है।

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डॉ. श्यामा प्रकाश मुखर्जी तत्कालीन सरकार के इस फैसले के खिलाफ थे कि जम्मू-कश्मीर में परमिट जाने के लिए परमिट होना ज़रूरी है। 11 मई, 1953 में सरकार का विरोध करते हुए वे जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने लगे इसपर शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्हें हिरासत में लेकर नज़रबंद कर दिया और गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का खुलासा आज तक नहीं हो पाया। बता दें कि श्यामा प्रकाश मुखर्जी के बलिदान की वजह से धारा 370 के बावजूद कश्मीर आज भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर को लेकर पहले जो नियम बने हुए थे अगर वो लागू हो गए होते तो आज जम्मू-कश्मीर की परिस्थिति एकदम अलग होती।