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हर 2 में से 1 भारतीय को फेसबुक, व्हाट्सएप पर मिल रही झूठी खबर, सर्वे में हुआ ऐसा भी खुलासा

सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों पर नहीं लग पा रही रोक हर दो भारतीयों में से एक को झूठी खबर होती है प्राप्त हाल ही में हुए एक सर्वे हुआ ये खुलासा

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survey claims 1 out of every 2 Indians get false news on social media

हर 2 में से 1 भारतीय को फेसबुक, व्हाट्सऐप पर मिल रही झूठी खबर, सर्वे में हुआ ऐसा भी खुलासा

नई दिल्ली। भारत में प्रत्येक दिन 10 लाख फर्जी खातों को हटाने के फेसबुक के कई दावों के बावजूद एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि बीते 30 दिनों में फेसबुक ( Facebook ) और व्हाट्सएप ( WhatsApp ) पर हर दो भारतीयों में से एक को झूठी खबर प्राप्त हुई है। इन दोनों सोशल मीडिया ( social media ) मंचों को यूजर्स तक गलत जानकारी पहुंचाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।

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ऑनलाइन स्टार्टअप सोशल मीडिया मैटर्स और नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसिज एंड पॉलिटिक्स ( Politics ) द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया कि 53 फीसदी भारतीयों को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर आगामी चुनाव से संबंधित गलत सूचनाएं प्राप्त हुईं। सर्वे में पाया गया, "करीब 62 फीसदी आबादी का मानना है कि लोकसभा चुनाव 2019 फेक न्यूज के प्रसार से प्रभावित होगा।" 54 फीसदी सेम्पल जनसंख्या में बातचीत करने वाले वर्ग की आयु 18-25 वर्ष है।

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सर्वे के मुताबिक, "फेसबुक और व्हाट्सएप गलत सूचना के प्रसार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख मंच हैं। सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि 96 फीसदी सैम्पल जनसंख्या को व्हाट्सएप के माध्यम से नकली समाचार प्राप्त हुए हैं।" भारत में 11 अप्रैल से शुरू हो रहे चुनाव में लगभग 9.4 फीसदी पहली बार मतदाताओं की वृद्धि देखी जाएगी, जो नई सरकार के गठन में निर्णायक दर्शक होंगे।

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सर्वे में कहा गया, "50 करोड़ मतदाताओं की इंटरनेट तक पहुंच है, इसलिए झूठे समाचारों का चुनावों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।" सर्वे के मुताबिक, 41 फीसदी लोगों ने फेक न्यूज की पहचान करने के लिए गूगल, फेसबुक और ट्विटर ( Twitter ) की मदद ली।

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करीब 54 फीसदी लोगों ने यह जताया है कि वे कभी भी फेक न्यूज से प्रभावित नहीं हुए हैं। वहीं दूसरी ओर 43 फीसदी ऐसे लोग हैं जिनके जानकार फेक न्यूज ( fake news ) से गुमराह हुए हैं। 'डोन्टबीएफूल' शीर्षक वाले इस सर्वे में 700 यूजरों को शामिल किया गया, जिसमें 56 फीसदी पुरुष, 43 फीसदी महिलाएं और एक फीसदी ट्रांसजेंडर शामिल हैं।