शेफ विकास खन्ना ने इससे पहले एक चैनल को दिए साक्षात्कार में बतलाया था कि साल 1992 में एक दिन जब वो मुंबई स्थित ‘SeaRock Sheraton’ की रसोई में प्रशिक्षण ले रहे थे तभी वहां दंगा भड़क गया। उन्होंने बताया कि एक दिन उन्होंने यह अफवाह सुनी कि मुंबई के घाटकोपर इलाके में स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। जिसके बाद उन्हें इस इलाके में रहने वाले अपने भाई की चिंता सताने लगी। अपने भाई को खोजने के लिए वो तुरंत वहां से निकल गए। हालांकि विकास खन्ना को घाटकोपर का रास्ता मालूम नहीं था और वो सड़क पर इधर-उधर भटकने लगे। तब ही एक मुस्लिम परिवार ने उन्हें हालात के बारे में बताया और उन्हें अपने साथ अपने घर ले गए। लेकिन जल्दी ही भीड़ मुस्लिम परिवार के घर के बाहर जमा हो गई और दरवाजे पर दस्तक देकर पूछने लगी कि उनके घर में कौन आया है? जिसपर उस परिवार ने भीड़ से कहा कि वो हमारे बेटा है जिसके बाद भीड़ वहां से चली गई।
उन्होंने बतलाया था कि दंगे के बाद पूरा शहर धधकने लगा और उनके साथ रसोई में मौजूद कई लोग होटल में ही फंस गए। दंगों के दौरान वहां कर्फ्यू लग गया। इस दौरान उन्हीं लोगों ने अपने घर के एक सदस्य को भेजकर विकास खन्ना के भाई के बारे में पता लगवाया जो सही-सलामत थे। उन्होंने बताया कि, ‘दो दिन तक मैं उनके यहां सोया। मुझे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उस परिवार ने मेरे परिवार को ढूंढ़ने के लिए भेजा और वह सुरक्षित मिला। उस साल के बाद से मैं हर साल रमजान में एक रोजा रखता हूं।’