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शेफ विकास और मुंबई दंगों से जुड़ा है एक फिल्मी किस्सा, 26 साल बाद हुई एक मुलाकात ने कायम की मिसाल

विकास खन्‍ना पिछले 26 साल से रमजान के महीने में एक दिन रोजा रखते हैं, वह ऐसा इसलिए करते हैं क्‍योंकि 1992 के मुंबई दंगों में...

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Priya Singh

Jun 14, 2018

vikas khanna tracked muslim family that saved him during babri riots

शेफ विकास और मुंबई दंगों से जुड़ा है एक फिल्मी किस्सा, 26 साल बाद हुई एक मुलाकात ने कायम की मिसाल

नई दिल्ली। मशहूर और जाने-माने शेफ विकास खन्‍ना पिछले 26 साल से रमजान के महीने में एक दिन रोजा रखते हैं। वह ऐसा इसलिए करते हैं क्‍योंकि 1992 के मुंबई दंगों में एक मुस्लिम परिवार ने उनकी जान बचाई थी। शेफ विकास खन्‍ना ने ट्वीट किया, 'दिलखुश कर देने वाली शाम। सारे दिल, आंसू, दर्द, गर्व, साहस, मानवता, सम्‍मान, यह मेरी जिंदगी की सबसे अहम और यादगार ईद होगी। मेरी आत्‍माओं से मिलाने के लिए सबका शुक्रिया। शेफ विकास खन्ना ने इस परिवार की कहानी सुनाते हुए फेसबुक पर 2015 में एक पोस्ट लिखा था। जिसमें उन्होंने इस घटना का जिक्र किया था।

शेफ विकास खन्ना ने इससे पहले एक चैनल को दिए साक्षात्कार में बतलाया था कि साल 1992 में एक दिन जब वो मुंबई स्थित ‘SeaRock Sheraton’ की रसोई में प्रशिक्षण ले रहे थे तभी वहां दंगा भड़क गया। उन्होंने बताया कि एक दिन उन्होंने यह अफवाह सुनी कि मुंबई के घाटकोपर इलाके में स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। जिसके बाद उन्हें इस इलाके में रहने वाले अपने भाई की चिंता सताने लगी। अपने भाई को खोजने के लिए वो तुरंत वहां से निकल गए। हालांकि विकास खन्ना को घाटकोपर का रास्ता मालूम नहीं था और वो सड़क पर इधर-उधर भटकने लगे। तब ही एक मुस्लिम परिवार ने उन्हें हालात के बारे में बताया और उन्हें अपने साथ अपने घर ले गए। लेकिन जल्दी ही भीड़ मुस्लिम परिवार के घर के बाहर जमा हो गई और दरवाजे पर दस्तक देकर पूछने लगी कि उनके घर में कौन आया है? जिसपर उस परिवार ने भीड़ से कहा कि वो हमारे बेटा है जिसके बाद भीड़ वहां से चली गई।

उन्होंने बतलाया था कि दंगे के बाद पूरा शहर धधकने लगा और उनके साथ रसोई में मौजूद कई लोग होटल में ही फंस गए। दंगों के दौरान वहां कर्फ्यू लग गया। इस दौरान उन्हीं लोगों ने अपने घर के एक सदस्य को भेजकर विकास खन्ना के भाई के बारे में पता लगवाया जो सही-सलामत थे। उन्होंने बताया कि, 'दो दिन तक मैं उनके यहां सोया। मुझे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उस परिवार ने मेरे परिवार को ढूंढ़ने के लिए भेजा और वह सुरक्षित मिला। उस साल के बाद से मैं हर साल रमजान में एक रोजा रखता हूं।'