24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

परमाणु शक्ति से लैस भारत और चीन के सैनिक लाठी और पत्थरों से क्यों करते हैं लड़ाई ?

भारत और चीनी सैनिकों (indian and chinese soldiers) के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना (Indian Army) के एक कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस लड़ाई में सीमा पर गोली नहीं चली है। दोनों देशों के सैनिकों ने लाठी-डंडों और पत्‍थरों का इस्‍तेमाल किया।

2 min read
Google source verification
why_soldiers_of_india_and_china_fight_with_sticks_and_stones.jpg

नई दिल्ली। भारत और चीनी सैनिकों (indian and chinese soldiers) के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)पर हिंसक झड़प की खबर है। बताया जा रहा है कि गलवन घाटी में पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंंसक झड़प हुई। झड़प में भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए।

इस झड़प में 5 चीनी सेना के मारे जाने और 11 जवानों के गंभीर तौर पर घायल होने की बात भी सामने आ रही है। वहीं ग्लोबल टाइम्स (Global Times) के एक पत्रकार ने सोशल साइट पर दावा किया है कि दोनों देशों के इस झड़प में चीनी पक्ष को भी भारी क्षति उठानी पड़ी है।

रिपोर्ट के मुताबिक मई महीने के पहले हफ्ते से ही पूर्वी लद्दाख में चार जगहों पर पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने घुसपैठ की। भारतीय सेना (Indian Army) के बाद करने के बाद भी चीन के सैनिक गलवान घाटी से हटने को तैयार नहीं थे। इसके बाद बीते रात भारतीय सैनिक चीनी जवानों को कल रात पीछे धकेल रहे थे। इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच खूनी झड़प हो गई जिसमें भारतीय सेना का एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस लड़ाई में सीमा पर गोली नहीं चली है। दोनों देशों के सैनिकों ने लाठी-डंडों और पत्‍थरों का इस्‍तेमाल किया। ऐसे में सवाल उठता है कि परमाणु हथियारों से संपन्न दो देशों के जवान लाठी और पत्‍थरों से क्यों लड़ रहे हैं?

क्यों होती है लाठी और पत्‍थरों की लड़ाई?

दरअसल, साल 1975 में LAC पर आखिर बार चीन के हमले में भारतीय सैनिक (Indian Army) शहीद हुए थे। इसके बाद ये पहली बार है जब चीन सीमा पर किसी जवान की जान गई है।

सूत्रों के मुताबिक इसके कुछ सालों बाद ही दोनों देशों ने यह तय किया है कि सीमा पर अग्रिम चौकियों पर जो भी सैनिक तैनात होंगे, उनके पास या तो हथियार नहीं होंगे। अगर किसी के पास बंदूक होगी भी तो वो इसका इस्तेमाल नहीं करेगा। इसके बाद से ही भारत और चीन ने के सैनिकों ने इसका इसका पूरी तरह पालन किया ।

इसके बाद भी चीन और भारत के कई बार मनमुटाव हुआ लेकिन दोनों देशों ने लगातार बातचीत से लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर कभी स्थिति बेकाबू नहीं होने दी। साल 1993 में देश के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव (P. V. Narasimha Rao) ने मेनटेनेंस ऑफ पीस ऐंड ट्रैंक्विलिटी समझौते पर दस्तख़त किया। इसके बाद साल 1996 में दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने के उपायों पर समझौता हुआ।

साल 2003 में भाजपा सरकार और 2005 में कांग्रेस सरकार के दौर में भी चीन से समझौते हुए। इसके बाद 2013 में बॉर्डर डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से भी दोनों देशों के रिश्ते में सुधार की बात कही जा रही थी।


लेकिन बीते मई के महीने में दोनों देशों में लद्दाख बॉर्डर के पास माहौल काफी तनावपूर्ण बना हुआ था। मई महीने के शुरुआत में चीनी सैनिकों ने भारत द्वारा तय की गई एलएसी को पार कर लिया था। चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील, गलवान घाटी के पास आकर अपने तंबू गाढ़ लिए थे। सूत्रों के मुताबिक यहां पर करीब पांच हजार सैनिकों को तैनात किया गया था, इसके अलावा सैन्य सामान भी इकट्ठा किया गया था।