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काल का साल बना 2020, एक और बड़े खतरे ने दी दस्तक

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े समुद्री पहाड के टूटने से समुद्र के जलस्तर में इजाफा होना तय है। अगर यह किसी तटीय शहर के करीब टूटा तो सुनामी जैसी बड़ी लहरें उठ सकती है।

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Iceberg

Iceberg

नई दिल्ली। साल 2020 दुनिया के इंसानी दुनिया का जमकर कहर टूट रहा है। कोरोना के बाद अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बर्फ का पहाड़ ( Iceberg ) लोगों के लिए मुसीबत बनने जा रहा है। दरअसल यह विशालकाय बर्फीला पहाड टूट कर खुले समुद्र में तैर रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अब इसमें दरारें पड़ने लगी हैं, जिससे वैज्ञानिक ( Scientist ) भी चिंतित दिखाई दे रहे है। इसकी एक वजह ये है कि ये पहाड समुद्र में घूम रहे जहाजों के लिए खतरा साबित हो सकता है। इसके साथ ही समुद्र के जलस्तर में इजाफा होना तय है।

अगर यह पहाड किसी तटीय शहर के करीब टूटता है तो सुनामी ( Tsunami ) जैसी भयंकर तबाही आ सकती है। इस बर्फीले पहाड को ए-68 ए कहते हैं, वह तेजी से खुले समुद्र में घूम रहा है। आपको बता दें कि ए-68 आइसबर्ग जब अंटार्कटिका से अलग हुआ था तब वह 6000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का था।

जो कि इतना बड़ा है कि इस पर न्यूयॉर्क ( New York ) शहर को पांच बार बसाया जा सकता है। लगभग पिछले तीन सालों से यह वेड्डेल सागर में घूम रहा है। इसी में से एक बड़ा टुकड़ा अलग होकर बाहर निकला है। जिसको नाम दिया गया है ए-68 ए। अब ए-68 ए में से भी एक टुकड़ा अलग हुआ है जिसका नाम है ए-68 सी।

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ए-68 ए 175 वर्ग किलोमीटर ( Kilometer ) क्षेत्रफल का है। ए-68 आइसबर्ग जुलाई 2017 में अंटार्कटिका के लार्सेन सी से टूट कर अलग हुआ था, तब से यह लगातार खुले और गर्म समुद्र की तरफ आगे की दिशा में बढ़ रहा है। हालांकि ये किस तरफ जाएगा यह बता पाना वैज्ञानिकों के लिए आसान नहीं है।

फिलहाल इसकी दिशा के आधार पर कयास लगाया जा रहा है कि अभी यह दक्षिणी अमेरिका के नीचे की तरफ स्थित दक्षिणी जॉर्जिया और दक्षिणी सैंचविच आइलैंड की तरफ जा रहा है। इस आइसबर्ग का अध्ययन करने वाले जियोलॉजिस्ट एड्रियन तीन सालों से इस आइसबर्ग पर नजर रख रहे हैं।

उन्होंने इस बर्फीले पहाड़ यानि आइसबर्ग ( Iceberg ) से अलग होते हुए एक बड़े बर्फ के टुकड़े को देखा था। उसका नाम है ए-68 सी। जिसकी लंबाई 19 किलोमीटर है। एड्रियन ल्यूकमैन कहते हैं कि ए-68 से अलग हुए टुकड़े का आकार करीब 175 वर्ग किलोमीटर है।

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यह आइसबर्ग बेहद पतला है। मैं हैरान हूं कि इतना पतला आइसबर्ग इतने सालों से पिघला क्यों नहीं रहा। ए-68 को 9 दिसंबर को क्रूज शिप एमएस एक्सीपडिशन ने देखा था। वहीं 6 फरवरी 2020 से यह खुले समुद्र में तैरने लगा। जबकि 10 मार्च 2020 को एमवी वर्ल्ड एक्सप्लोरर ने इसे दक्षिणी अमेरिकी के नीचे समुद्र में तैरते हुए देखा था।