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कलबुर्गी में 2.31 करोड़ की ज्वार प्रोसेसिंग यूनिट शुरू, किसानों को मिला वैल्यू एडिशन का नया रास्ता

सरकार की कल्याण संपदा पहल के तहत जिले में ज्वार को वैल्यू एडिशन फसल घोषित किए जाने के बाद कोडली में अत्याधुनिक ज्वार प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण पूरा हो गया है। लगभग 2.31 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह यूनिट अब किसानों और फूड वर्कर्स के लिए नई संभावनाओं का केंद्र बन गई है। इस यूनिट के निर्माण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने सांसद निधि से 50 लाख रुपए का योगदान दिया। इसके अलावा 1.28 करोड़ रुपए केंद्र की ग्रांट और 50 लाख रुपए लोन के माध्यम से जुटाए गए। किसान उत्पादक संगठन ने 12 लाख रुपए की हिस्सेदारी दी, जो यूनिट के संचालन और मेंटेनेंस की भी जिम्मेेदारी संभालेगा।

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ज्वार

ज्वार

सरकार की कल्याण संपदा पहल के तहत जिले में ज्वार को वैल्यू एडिशन फसल घोषित किए जाने के बाद कोडली में अत्याधुनिक ज्वार प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण पूरा हो गया है। लगभग 2.31 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह यूनिट अब किसानों और फूड वर्कर्स के लिए नई संभावनाओं का केंद्र बन गई है। इस यूनिट के निर्माण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने सांसद निधि से 50 लाख रुपए का योगदान दिया। इसके अलावा 1.28 करोड़ रुपए केंद्र की ग्रांट और 50 लाख रुपए लोन के माध्यम से जुटाए गए। किसान उत्पादक संगठन ने 12 लाख रुपए की हिस्सेदारी दी, जो यूनिट के संचालन और मेंटेनेंस की भी जिम्मेेदारी संभालेगा।

चार प्रमुख मशीनें लगाई
19,000 वर्ग फीट में फैली इस सुविधा में चार प्रमुख मशीनें लगाई गई हैं कॉर्न क्लीनिंग मशीन, फ्लोर ग्राइंडिंग मशीन, पॉपकॉर्न मशीन और कॉर्न फ्लेक्स बनाने वाली मशीन। इनमें प्रति घंटा 500 किलो क्लीनिंग क्षमता, 150 किलो आटा पिसाई, और 100-250 किलो फ्लेक्स उत्पादन की क्षमता है। मशीनों की इस श्रृंखला से ज्वार आधारित अनेक उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे, जिससे किसानों को सीधी आय बढऩे की उम्मीद है। जिले में पहले ज्वार की खेती बड़े पैमाने पर होती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बागवानी और गन्ने की खेती बढऩे से ज्वार का क्षेत्रफल घटता गया था। कृषि विभाग का मानना है कि वैल्यू एडिशन सुविधा मिलने से किसान दोबारा इस फसल की ओर आकर्षित होंगे क्योंकि अब उन्हें कच्चा ज्वार बेचने के बजाय तैयार उत्पादों से बेहतर दाम मिलने की संभावना है।

प्रोडक्ट्स बनाने का प्रशिक्षण
इस यूनिट में एक आधुनिक ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया गया है। यहां किसानों, महिलाओं और युवा फूड वर्कर्स को ज्वार की गुणवत्ता, हाइजीनिक प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और ज्वार रोटी सहित कई प्रोडक्ट्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि ज्वार मानसून और सूखे—दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली मजबूती वाली फसल है। जिले में लगभग 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ज्वार बोया जाता है, जिससे 99 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है। वैल्यू एडिशन से यह उत्पादन किसानों के लिए अधिक लाभकारी बनने वाला है।