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कहानी, श्लोक, ज्ञान व अनुशासन के साथ मिल रही संस्कारों की अनोखी सीख

हुब्बल्ली के गब्बुर गली स्थित रामदेव भवन में हर रविवार आयोजित होने वाली संस्कारशाला बच्चों के चरित्र निर्माण और सकारात्मक व्यक्तित्व विकास का केंद्र बनती जा रही है। तीन से पंद्रह वर्ष आयुवर्ग के बच्चे बड़ी उत्सुकता के साथ यहां पहुंचते हैं, जहां उन्हें जीवन में जरूरी मूल्यों, आदतों और ज्ञान का सरल व प्रेरक ढंग से शिक्षण दिया जाता है।

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संस्कारशाला से निखर रहा बाल भविष्य।

संस्कारशाला से निखर रहा बाल भविष्य।

हुब्बल्ली के गब्बुर गली स्थित रामदेव भवन में हर रविवार आयोजित होने वाली संस्कारशाला बच्चों के चरित्र निर्माण और सकारात्मक व्यक्तित्व विकास का केंद्र बनती जा रही है। तीन से पंद्रह वर्ष आयुवर्ग के बच्चे बड़ी उत्सुकता के साथ यहां पहुंचते हैं, जहां उन्हें जीवन में जरूरी मूल्यों, आदतों और ज्ञान का सरल व प्रेरक ढंग से शिक्षण दिया जाता है।

सहज भाषा में जानकारी
कार्यक्रम में बालकृष्ण सराफ और राजेश रावल ने बच्चों को संस्कार, नैतिक मूल्य, अनुशासन, तथा सामान्य ज्ञान जैसी विषयों की जानकारी सहज भाषा में प्रदान की। गीता, रामायण और महाभारत के प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से बच्चों को सत्य, साहस, करुणा, मातृ-पितृ भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा जैसे सद्गुणों से परिचित कराया गया।

बच्चों ने दी प्रस्तुति
कई बच्चों ने मंच पर आकर श्लोकों का उच्चारण, हनुमान चालीसा का पाठ और अपने प्रेरक विचारों को भी आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत किया। कहानियों के जरिए बच्चों को यह समझाया गया कि छोटे-छोटे अच्छे काम, जैसे समय पर उठना, माता-पिता का सम्मान, स्वच्छता, पढ़ाई में ध्यान और दूसरों की मदद, जीवन को बड़ा और सफल बनाते हैं।

बढ़ रही ज्ञान की जिज्ञासा
संस्कारशाला के बालकृष्ण सराफ ने बताया कि संस्कारशाला का माहौल इस तरह तैयार किया जाता है कि बच्चे सीखने के साथ-साथ खुलकर अपनी बात भी रख सकें। इस नियमित आयोजन से बच्चों में आत्मविश्वास, संवाद कौशल, नैतिक सोच, और ज्ञान की जिज्ञासा बढ़ रही है। अभिभावकों का कहना है कि संस्कारशाला ने बच्चों की दिनचर्या में सकारात्मक परिवर्तन लाए हैं।