मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाशिवरात्रि के अवसर पर शहर के पुराने हुब्बल्ली स्थित सिद्धारूढ़ मठ में विशेष पूजा अर्चना की और समस्त जनता की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। वे अपने घनिष्ठ मित्रों सहित प्रात:काल घर से निकले और कुछ देर मठ के प्रांगण में मठ के भिक्षुओं से सीधे बातचीत की। इस दौरान सिद्धारूढ़ मठ ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मठ के विकास और सरकारी अनुदान की मांग की है।
हुब्बल्ली. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाशिवरात्रि के अवसर पर शहर के पुराने हुब्बल्ली स्थित सिद्धारूढ़ मठ में विशेष पूजा अर्चना की और समस्त जनता की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। वे अपने घनिष्ठ मित्रों सहित प्रात:काल घर से निकले और कुछ देर मठ के प्रांगण में मठ के भिक्षुओं से सीधे बातचीत की। इस दौरान सिद्धारूढ़ मठ ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मठ के विकास और सरकारी अनुदान की मांग की है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री बोम्मई ने मठ के लिए एक करोड़ रुपए अनुदान देने की घोषणा की थी, जिसका चेक ट्रस्ट समिति के सदस्यों को प्रदान किया। इस दौरान मठ ट्रस्ट समिति की चेयरमैन डीबी जवली, पूर्व चेयरमैन महेन्द्र सिंघी, गोविन्द मन्नूर, केएल पाटिल, हणमंत कोटबागी, जीएस नायक सहित अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का आभार जताकर सम्मान किया गया।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के परिवार का सिद्धारूढ़ मठ के साथ एक अटूट संबंध है। बसवराज बोम्मई के पिता के समय से ही उन्होंने इस मठ में आने की आदत बना ली है। पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई भी इस मठ में काफी आते थे। अक्सर मठ का दौरा करने वाले एसआर बोम्मई को मठ पर बहुत विश्वास करते थे। उनके परिवार के सदस्य भी इस विश्वास को जारी रखे हुए हैं।
दर्शन के लिए देश भर से आते हैं श्रद्धालु
सिद्धारूढ़ मठ ने महात्मा गांधी और तिलक को प्रभावित किया था। सिद्धारूढ़ स्वामी एक महान चमत्कारी पुरुष थे। अपने सादा जीवन और शिक्षाओं के कारण उनके बहुत से अनुयायी हैं। मठ में नियमित धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सिद्धारूढ़ के पीठ और समाधि के दर्शन के लिए देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
सिद्धारूढ़ मठ में श्रावण मास में होने वाले जल रथ उत्सव के वैभव को देखने के लिए दो आंखें काफी नहीं हैं। सिद्धारूढ़ स्वामी की मूर्ति को सजाकर बेड़ा में रखकर जलरथोत्सव मनाया जाता है। मठ के प्रांगण में पुष्करणी में आयोजित होने वाले जल रथ उत्सव को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। रंग-बिरंगे फूलों और फलों से सजा एक बेड़ा पानी के चारों ओर तैरता है। लोग ओम नम: शिव का जाप करते हुए जल रथोत्सव मनाते हैं।
कार्तिक मास में लक्षदीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। शिवरात्रि जात्रा महोत्सव और रथोत्सव हर साल आयोजित किए जाते हैं। सबसे पहले सिद्धारूढ़ और गुरुनाथ रूढ़ की पालकी शोभायात्रा निकाली जाती है। शहर की विभिन्न गलियों में घूमने वाली पालकी को भक्त फूल और फल चढ़ाते हैं और भक्ति भाव से इसकी पूजा करते हैं।
श्रद्धालुओं के द्वार तक जाने वाली पालकी शाम को मठ परिसर में पहुंचती है। मठ के कैलाश मंडप परिसर से महाद्वार तक रथ खींचा जाता है। सैलाब की तरह आने वाले श्रद्धालु रथ खींचकर पुलकित होते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों से सजे रथ को खींचा जाता है।
कई नेता कर चुके हैं दौरा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मठ पहुंचकर सिद्धारूढ़ स्वामी के पीठ और समाधि का दर्शन किया था। सिद्धारूढ़ मठ। सिद्धारूढ़ स्वामी ने अपने अद्वैत सिद्धांत के जरिए श्रध्दालुओं को धर्म का मार्ग सिखाया है। सिद्धारूढ़ स्वामी का पीठ और समाधि आज भी जागरुकता का केंद्र है। इसके चलते हुब्बल्ली को जो भी आते हैं वे सबसे पहले सिद्धारूढ़ मठ आ कर समाधि और पीठ के दर्शन करते हैं। मठ में रोजाना धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। लोगों में विश्वास है कि सिद्धारूढ़ स्वामी बुरी आत्माओं को दूर कर जीवन को रोशन करने वाले हैं। उन्होंने लोगों को पंचाक्षरी मंत्र का खुलकर जाप करने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार चौबीस घंटे मठ में नम: शिवाय मंत्र गुंजायमान रहता है।