
सरकारी स्कूलों में घट रहा नामांकन
बदहाल शिक्षा 04
साल-दर-साल गिरावट जारी
21 हजार से घटकर 19.6 हजार रह गई उपस्थिति
हुब्बल्ली. जर्जर इमारतों, शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण सरकारी स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति में साल-दर-साल गिरावट जारी है।
धारवाड़ जिले का कुंदगोल सबसे कम नामांकन वाला तालुक है। पिछली बार नामांकन 24 हजार था, इस बार घटकर 22 हजार रह गया है। उपस्थिति 21 हजार से घटकर 19.6 हजार रह गई।
नलगुंद तालुक के नागनूर गांव के स्कूल में कक्षा 2 में केवल एक छात्र नामांकित है और इसे सबसे कम नामांकन वाले स्कूल के रूप में जाना जा रहा है।
हुब्बल्ली शहर क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2022 में 1.8 लाख बच्चों का नामांकन हुआ था। यह जिले में सबसे अधिक था। इस बार यह घटकर 97 हजार पर आ गया है। उपस्थिति 1.3 लाख से घटकर 94.7 हजार रह गई है। हुब्बल्ली के बिडनाल की कर्नाटक पब्लिक स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक कुल 875 बच्चों का नामांकन हुआ है, जो जिले में ही सबसे अधिक है।
कोविड-19 के दौरान सरकारी स्कूलों की मांग बढ़ी थी। उन वर्षों के दौरान नामांकन में वृद्धि हुई थी परन्तु पिछले साल से इसमें फिर से गिरावट आ रही है। शैक्षणिक वर्ष शुरू हुए एक महीना बीत चुका है, पंजीकरण प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी है और दो विभागों में कमी आई है।
अभिभावकों में अंग्रेजी का क्रेज बढ़ा
शहर की एक सरकारी स्कूल के एक शिक्षक ने कहा कि अभिभावकों में अंग्रेजी का क्रेज बढ़ा है। उन्हें यह गलतफहमी है कि बच्चे अंग्रेजी सीख लेंगे तो उन्हें नौकरी मिल जाएगी परन्तु यह ज्ञात नहीं है कि उन्हें सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है। सरकारी स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चे आते हैं। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को अपने साथ काम पर ले जाते हैं इस कारण उपस्थिति कम है।
सरकारी स्कूलों के पुनरुत्थान की जरूरत
शौचालय की समस्या, पेयजल की समस्या, मैदान की कमी, शिक्षकों की कमी, विषयवार शिक्षण से असंबंधित शिक्षकों की नियुक्ति, अतिथि शिक्षकों की समय पर नियुक्ति न होना सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट के प्रमुख कारण हैं। राज्य सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और सरकारी स्कूलों के पुनरुत्थान के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
-मोहन सिध्दांती, शिक्षा प्रेमी
Published on:
26 Jul 2023 10:15 pm
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