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बंद होने की कगार पर पांच सरकारी स्कूल, अन्य में भी कम नामांकन

राज्य की सीमा पर स्थित तीन सरकारी स्कूलों सहित कारवार शैक्षणिक जिले के पांच स्कूलों में एक भी छात्र ने प्रवेश प्राप्त नहीं किया है। इसके चलते ये स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

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बंद होने की कगार पर पांच सरकारी स्कूल, अन्य में भी कम नामांकन

बंद होने की कगार पर पांच सरकारी स्कूल, अन्य में भी कम नामांकन

बदहाल शिक्षा 02

सीमावर्ती स्कूलों में बदहाली, बच्चों की कमी, शून्य नामांकन
हुब्बल्ली. राज्य की सीमा पर स्थित तीन सरकारी स्कूलों सहित कारवार शैक्षणिक जिले के पांच स्कूलों में एक भी छात्र ने प्रवेश प्राप्त नहीं किया है। इसके चलते ये स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

कारवार तालुक के सकल बालनी (लोअर बलनी) की सरकारी पूर्व प्राथमिक स्कूल, गोपशिट्टा की उच्च प्राथमिक स्कूल, संक्रिवाड़ की पूर्व प्राथमिक स्कूल, अंकोला तालुक माबगे की पूर्व प्राथमिक स्कूल, होन्नावर तालुक के कुच्चोडी की पूर्व प्राथमिक उर्दू स्कूल, नेसरनीर गांव की पूर्व प्राथमिक स्कूल में शून्य नामांकन हुआ है।

गोवा राज्य की सीमा से लगे कारवार तालुक के ग्रामीण हिस्से में तीन स्कूलों में छात्रों की संख्या में कमी भी चिंता का कारण बना है।

सीमावर्ती स्कूलों में सबसे ज्यादा कमी है

उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार और जोइडा तालुक की सीमा पड़ोसी राज्य गोवा से लगती है। इन दोनों तालुकों के 89 स्कूलों में दस से भी कम छात्र हैं। जोइडा में रोजगार के लिए गोवा जाने वाले लोगों की संख्या अधिक है और यहां के छात्र अन्य तालुकों के छात्रावासों में रहकर पढ़ाई करते हैं परन्तु कारवार तालुक के कई सीमावर्ती गांवों से हर दिन सैकड़ों छात्र गोवा के निजी स्कूलों में जा रहे हैं।

एक शिक्षक का कहना है कि हाल ही में गांवों से शहरों की ओर पलायन करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके चलते गांवों में जनसंख्या भी कम होती जा रही है। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में छात्रों के कम नामांकन का यही मुख्य कारण है। गोपशिट्टा निवासी दीपा नायक ने बताया कि कारवार तालुक के ग्रामीण इलाकों से सैकड़ों छात्र पड़ोसी गोवा के माशेम, लोलेम और काणकोण हिस्सों में निजी अंग्रेजी मीडिय स्कूलों में जा रहे हैं और यह ग्रामीण इलाकों में छात्रों की संख्या में कमी का एक कारण हो सकता है।

एक भी नामांकन नहीं

कारवार तालुक के तीन स्कूलों में से एक भी नामांकन चालू वर्ष के लिए नहीं हुआ है। इस माह के अंत तक छात्रों के नामांकन की अनुमति दी जाएगी। अगर फिर भी प्रवेश नहीं हुआ तो स्कूल को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ेगा।

-चंद्रहास रायकर, बीईओ, कारवार

छात्रों को स्कूल लाने की कोशिश करेंगे

जिले के पांच विद्यालयों में नामांकन शून्य है। ऐसे स्कूल को अनंतिम रूप से शून्य नामांकन स्कूल माना जाता है। ऐसे स्कूलों के शिक्षकों को आवश्यकता पड़ने पर दूसरे स्कूलों में प्रतिनियुक्त की जाएगी। आगामी साल में हम छात्रों को स्कूल लाने की कोशिश करेंगे।

-लता नायक, डीडीपीआई, कारवार शैक्षणिक जिला