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गुरु जम्भेश्वर ने 29 नियमों की दीक्षा एवं पाहल देकर की थी विश्नोई समुदाय की स्थापना

विश्नोई संप्रदाय स्थापना दिवस पर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा: पर्यावरण और जीवदया प्रेमी हैं विश्नोई समाज, जान से ज्यादा प्यार पेड़ और जानवरों को

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विश्नोई संप्रदाय स्थापना दिवस पर गुरुवार को हुब्बल्ली में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते विश्नोई समाज के लोग।

विश्नोई संप्रदाय स्थापना दिवस पर गुरुवार को हुब्बल्ली में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते विश्नोई समाज के लोग।

उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय। जाम्भोजी किरपा करी, नाम विश्नोई होय।। राजस्थानी की इस कहावत का अर्थ हैं कि जो लोग गुरु जंभेश्वर के 29 नियमों का ह्रदय से पालन करते हैं वे लोग ही विश्नोई हुए हैं। विश्नोई समाज के लोग इन्हें अपने भगवान से निभाने का वायदा करते हैं। संवत 1542 (वर्ष 1485) को कार्तिक कृष्ण अष्ठमी को जांभोजी महाराज ने एक विराट यज्ञ राजस्थान के समराथल धोरे पर किया और 29 नियमों की दीक्षा एवं पाहल देकर विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की। तब से हर साल कार्तिक कृष्ण अष्ठमी को विश्नोई धर्म स्थापना दिवस मनाया जाता है। स्थापना दिवस के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विश्नोई समाज के लोगों ने विश्नोई संप्रदाय को लेकर अपने विचार रखे। प्रस्तुत हैं उनके विचार:

देश-विदेश में फैले हैं विश्नोई समाज के लोग
राजस्थान के सांचौर जिले के चौरा निवासी बीरबल एम. विश्नोई साहू कहते हैं, विश्नोई समाज देश-विदेश में फैला हुआ है। कोई डेढ़ दर्जन से अधिक देशों में विश्नोई समुदाय के लोग निवास कर रहे हैं। विदेश में समाज के लोग इंजीनियर, चिकित्सक एवं बिजनेस के क्षेत्र में सक्रिय है। यूएसए में करीब एक सौ विश्नोई परिवार है। समाज के कई लोगों को विदेशी नागरिकता मिल चुकी है। विदेश में समाज के कई लोग राजनीति के क्षेत्र में भी सक्रिय है। हरियाणा के हिसार मूल के दम भीमा मॉरिशस में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं। वे प्रमुख अवसरों पर मुकाम आते रहे हैं। राजस्थान के बीकानेर मूल के लेखराम विश्नोई फिजी में युवा एवं खेल मंत्री रह चुके हैं।

जीव और मानव सेवा को समर्पित समाज
राजस्थान के बाड़मेर जिले के रामजी का गोल निवासी नैनाराम भाम्भू कहते हैं, मारवाड़ की स्थानीय भाषा में बीस का अर्थ 20 और नोई को 9 कहा जाता है। इन दोनों को जोडऩे पर योग 29 होता है। गुरु जंभेश्वर ने अपने अनुयायियों के लिए 29 नियमों की आचार संहिता बनाई। इनमें 10 नियम खुद की सुरक्षा और स्वास्थ्य, 9 नियम जानवरों की रक्षा, 7 नियम समाज की रक्षा और शेष नियम आध्यात्मिक उत्थान के लिए बनाए गए। विश्नोई समाज जीव और मानव सेवा को समर्पित है और गुरु जंभेश्वर को अपना आराध्य मानता है। जहां विश्नोई समाज के लोग रहते हैं वहां हिरण अधिक पाए जाते हैं। गुरु जंभेश्वर के 29 सिद्धांतों को मानते हुए ये उनको अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं।

हर साल मनाते हैं स्थापना दिवस
राजस्थान के सांचौर जिले के मालवाड़ा निवासी शैतानाराम पंवार कहते हैं, विश्नोई समुदाय के लिए यह दिन विशेष दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन समराथल धोरे पर भगवान जांभोजी ने 29 नियमों की आचार संहिता के साथ विश्नोई समाज की स्थापना की थी। यही दिन विश्नोई समाज का उत्पत्ति दिवस है जिसको आज तक विश्नोई समाज स्थापना दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। गुरु जंभेश्वर ने धार्मिक पाखंडों और कर्मकांडों का जमकर विरोध किया। वर्तमान में विश्नोई पंथ के लोग मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में फैले हुए हैं।

शब्द वाणी अति विलक्षण ग्रन्थ
राजस्थान के बालोतरा जिले के देवड़ा निवासी रमेश कावां कहते हैं, गुरु जम्भेश्वर भगवान विष्णु के अवतार थे। गुरु जम्भेश्वर की शब्द वाणी अति विलक्षण ग्रन्थ है। गुरु जाम्भोजी ने कर्म पर विशेष बल दिया है। विश्नोई समाज पर्यावरण प्रेमी समाज है। यह समाज अपनी समृद्ध संस्कृति एव परम्पराओं केे लिए जाना जाता है। समूचे विश्व में विश्नोई समाज ने पर्यावरण संरक्षक के रूप में पहचान बनाई है। गुरु जम्भेश्वर ने सदैव सामाजिक कुरीतियों एवं रूढिय़ों को त्यागने का आह्वान किया। विश्नोई समाज के लोग आज भी 29 नियमों का पालना करते है।