
Prakash Kothari, Builder and Promoter
तेजी से शहरीकरण एवं भविष्य की मांग को देखते हुए आने वाले समय में हुब्बल्ली हवाई अड्डा एक अलग रूप-रंग में होगा। आंतरिक भवन को एएआई की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया जाएगा। नए टर्मिनल का प्रवेश द्वार आकर्षक होगा और यह शहर के इतिहास और संस्कृति की प्रतिकृति होगा। स्तंभों को उन्कल के ऐतिहासिक चंद्रमौलेश्वर मंदिर के पत्थर के स्तंभों की तरह डिजाइन किया जाएगा और बाहरी दीवार पर अन्य मंदिरों की प्रतिकृतियां बनाई जाएंगी। वास्तुकार शहर के इतिहास और संस्कृति के बारे में अध्ययन कर इसे अंतिम रूप देंगे। बाहरी राज्यों से आने वाले यात्री नए टर्मिनल के प्रवेश द्वार के माध्यम से ही शहर के सार को समझ सकेंगे। मौजूदा टर्मिनल भवन के बगल में नया टर्मिनल भवन बनेगा। नए टर्मिनल के साथ हुब्बल्ली हवाई अड्डे का विस्तार 20,000 वर्ग मीटर तक हो जाएगा और यह एक समय में 2,400 यात्रियों को संभाल सकेगा। शिलान्यास समारोह जनवरी 2024 के मध्य में होने की उम्मीद है।
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2017 में हुआ था मौजूदा टर्मिनल का उद्घाटन
मौजूदा टर्मिनल भवन का उद्घाटन 2017 में किया गया था। इसका क्षेत्रफल 3,600 वर्ग मीटर है। इसमें एक समय में 600 यात्रियों को संभालने की क्षमता है। यात्री यातायात में वृद्धि के बाद केंद्र सरकार ने इस साल जून में 273 करोड़ रुपए की लागत से एक नए टर्मिनल भवन और सुविधाओं के लिए अपनी मंजूरी दी थी। एएआई ने नासिक स्थित हर्ष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को नए टर्मिनल भवन के निर्माण के लिए 220 करोड़ रुपए का टेंडर दिया है। केंद्र सरकार ने 2026 के बाद हवाई यातायात की मांग को ध्यान में रखते हुए टर्मिनल के विस्तार के लिए पहले ही मंजूरी दे दी थी। हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय मानकों और भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के अनुसार डिजाइन किया गया है।
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नए एयरपोर्ट टर्मिनल में ये होंगी सुविधाएं
- नया टर्मिनल भवन 20,000 वर्गमीटर (भूतल व पहली मंजिल) का होगा
- सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से होगा लेस
- हवाईअड्डे का पर्याप्त विकास
- तीन एयरो-ब्रिज बनेंगे
- 2400 यात्रियों को संभालने की क्षमता
- एक एप्रन विस्तार पर भी होगा काम
- दो साल में होगा पूरा
- क्षेत्र का होगा विकास
- अन्य स्थानों के लिए अतिरिक्त उड़ानें संचालित हो सकेगी
- नया टर्मिनल उत्तरी कर्नाटक के गौरव के रूप में उभरेगा
- नए टर्मिनल को इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट के लिए ग्रीन रेटिंग फाइव स्टार रेटिंग मिलेगी
- बढ़ेगी उड़ान सेवाएं
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हवाई यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण
- राज्य में दूसरा सबसे बड़ा नगर निगम
- हुब्बल्ली-धारवाड़ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)
- भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) जैसे प्रमुख संस्थानों की स्थापना
- तेज गति से हो रहा विकास
- देश के विभिन्न महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ
- हवाई अड्डे से विभिन्न गंतव्यों की यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि
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एक्सपर्ट व्यू:
बिल्डर एवं प्रमोटर प्रकाश कोठारी कहते हैं, बेंगलूरु के बाद कर्नाटक में हुब्बल्ली-धारवाड़ सबसे बड़े शहर हैं। सरकार को इन शहरों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। यदि इन शहरों का विकास किया जाएं तो यहां कई मैन्युफेक्चरिंग इकाइयां आ सकती है। इससे नौकरी के अवसर बढ़ सकेंगे। हुब्बल्ली में नए टर्मिनल से निश्चित ही यात्रियों को फायदा मिलेगा। आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत है। हुब्बल्ली उत्तर कर्नाटक का गेटवे है। यहां सुविधाओं पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। यहां जमीन भी खूब प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में विकास के खूब अवसर है।
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मौजूदा समय में उड़ानें
हुब्बल्ली हवाई अड्डे से चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे और बेंगलुरु समेत अन्य प्रमुख शहरों के लिए
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मौजूदा टर्मिनल: एक नजर
- हुब्बल्ली हवाई अड्डे से 2022-2023 में 5,742 विमानों की आवाजाही हुआ जिनसे 3,22,701 यात्री आए
- वर्तमान टर्मिनल का क्षेत्रफल 3,600 वर्ग मीटर
- इसमें एक बार में 300 लोग रह सकते हैं
- हवाईअड्डा उन्नयन परियोजना के हिस्से के रूप में दिसंबर 2017 में पूरा किया गया
- लागत 142 करोड़ आई
- एक नया हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) टावर बनाया
- रनवे को 1,674 से 2,600 मीटर तक बढ़ाया
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बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर
- अप्रेल 2021 में 8 मेगावाट ग्राउंड-माउंटेड ग्रिड-कनेक्टेड फोटोवोल्टिक सौर संयंत्र के चालू होने के साथ हवाई अड्डे को बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बना दिया गया।
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करने होंगे यह प्रयास
मौजूदा समय में बेंगलुरू एवं मंगलूरु हवाई अड्डों पर निर्भरता अधिक है। यदि हुब्बल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनता है तो इससे इन दोनों हवाई अड्डों पर निर्भरता कम हो सकेगी।
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इस तरह चला विकास क्रम
हुब्बल्ली में हवाई अड्डे की आवश्यकता 1954 में महसूस की गई थी जब यह क्षेत्र मुंबई (तब बॉम्बे) प्रेसीडेंसी के अधीन था। राज्य पुनर्गठन अधिनियम के कारण हुब्बल्ली बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा होने से नवगठित कर्नाटक राज्य में स्थानांतरित हो गया। परिणामस्वरूप भूमि अधिग्रहण में देरी हुई। हवाई अड्डे का निर्माण और विकास कर्नाटक के लोक निर्माण विभाग ने करवाया। भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण ने 1996 के दौरान कर्नाटक पीडब्ल्यूडी से हवाईअड्डे का अधिग्रहण कर लिया और 2003 में एयर डेक्कन ने उड़ान संचालन फिर से शुरू किया। किंगफिशर एयरलाइंस जल्द ही बेंगलूरु और मुंबई के लिए संचालित उड़ानों में शामिल हो गई। स्पाइसजेट ने 2014 से 2019 तक हवाई अड्डे से परिचालन किया, इस दौरान उसे 2019 में उड़ानें स्थाई रूप से समाप्त करने से पहले रनवे की मरम्मत और विमान ओवररन के कारण दो बार परिचालन निलंबित करना पड़ा। इंडिगो ने जुलाई 2018 से हवाई अड्डे के लिए उड़ानें संचालित करना शुरू कर दिया और यह हवाई अड्डे से संचालित होने वाली सबसे बड़ी एयरलाइन है। कर्नाटक सरकार ने हवाई अड्डे को विकसित करने के लिए जनवरी 2013 में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। 588 एकड़ भूमि राज्य सरकार ने अधिग्रहित की। हवाई क्षेत्र का क्षेत्रफल बढ़ाकर 615 एकड़ कर दिया गया और रनवे को 8,500 फीट तक बढ़ा दिया गया। एक नया टैक्सीवे, छत, कार पार्किंग, फायर स्टेशन और एक नया टर्मिनल भवन भी अपग्रेड प्रोजेक्ट का हिस्सा था जो बोइंग 737 और एयरबस ए320 जैसे बड़े विमानों के संचालन को सक्षम करेगा। एएआई ने 2016 में एक नई डीवीओआर बिल्डिंग और एनडीबी बिल्डिंग का निर्माण किया और रनवे, टैक्सीवे और आइसोलेशन बे के विस्तार, मजबूती और चौड़ीकरण पर काम शुरू किया। एक नया एटीसी टावर, तकनीकी ब्लॉक, फायर स्टेशन, तीन विमानों की पार्किंग के लिए एक नया एप्रन, सुरक्षा निगरानी टावरों और एक सीवेज उपचार संयंत्र के साथ सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया। 12 दिसंबर 2017 को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने उन्नत हवाई अड्डे के टर्मिनल और अन्य सहायक सुविधाओं का उद्घाटन किया।
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Published on:
25 Dec 2023 10:02 pm
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