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ज्ञान होना ही काफी नहीं, जीने की कला भी आनी चाहिए

कर्नाटक राज्य उच्च शिक्षा बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. बी. तिम्मेगौड़ा ने कहा कि मौजूदा दौर में सिर्फ ज्ञान ही काफी नहीं है। हालात के अनुसार इसका उपयोग करने की कला भी आनी चाहिए।

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ज्ञान होना ही काफी नहीं, जीने की कला भी आनी चाहिए

ज्ञान होना ही काफी नहीं, जीने की कला भी आनी चाहिए


डॉ. बी. तिम्मेगौड़ा ने कहा
बेलगावी. कर्नाटक राज्य उच्च शिक्षा बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. बी. तिम्मेगौड़ा ने कहा कि मौजूदा दौर में सिर्फ ज्ञान ही काफी नहीं है। हालात के अनुसार इसका उपयोग करने की कला भी आनी चाहिए।

शहर के सुवर्ण विधानसौधा में आयोजित रानी चन्नम्मा विश्वविद्यालय (आरसीयू) के 11वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. तिम्मेगौड़ा ने कहा कि पेशेवरों को पैदा करने के लिए शैक्षणिक संस्थान काफी नहीं हैं। छात्रों में पेशे से परे नैतिक मूल्यों को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। पढ़ाई पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। हमें जीवन भर कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति सरपट दौड़ रही है। मशीनों ने अकुशल श्रमिकों की अधिकांश नौकरियां छीन ली हैं। इसलिए व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ देश और विश्व की सर्वांगीण प्रगति के लिए पूरक शिक्षा प्रदान करना आज की आपात आवश्यकता है। दृढ़ता ही सफलता का रहस्य है। जीवन में सफलता की राह पर चलने के लिए निरंतर प्रयास करना टाहिए। कुलपति प्रो. एम. रामचंद्रगौड़ा ने प्रास्ताविक भाषण किया। कुलसचिव राजश्री जैनापुर, मूल्यांकन कुलसचिव प्रो. शिवानंद गोरनाले, वित्त अधिकारी प्रो. एस.बी. आकाश सहित अन्य उपस्थित थे।

व्यावसायिक कौशल विकसित करें : गहलोत
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि युवाओं को आज विभिन्न क्षेत्रों के लिए आवश्यक पेशेवर कौशल विकसित करना चाहिए, तभी हम सफलता प्राप्त कर पाएंगे। पूरे देश में पहली बार कर्नाटक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है। यह युवक, युवतियों के विकास का भी पूरक है। हमारे पास जो ज्ञान है उसका उपयोग व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ लडऩे वाली वीर रानी चन्नम्मा इस देश की शान हैं। यहां की रानी चन्नम्मा यूनिवर्सिटी ने भी अपनी मूल आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उपयोगी कदम उठाए हैं।