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गोकाक के महेश यल्लूर बने अग्निवीर, बचपन का सपना बेलगावी परेड में हुआ साकार

बेलगावी के मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित अग्निवीरों की पासिंग आउट परेड इस वर्ष अनेक परिवारों के लिए भावनाओं, गर्व और सपनों का संगम बनी। इस उज्ज्वल परेड में शामिल रहे महेश यल्लूर, जिनकी प्रेरक कहानी आज कई युवाओं के लिए एक उदाहरण बन चुकी है।

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अपने माता-पिता और बहन के साथ महेश यल्लूर।

अपने माता-पिता और बहन के साथ महेश यल्लूर।

बेलगावी के मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित अग्निवीरों की पासिंग आउट परेड इस वर्ष अनेक परिवारों के लिए भावनाओं, गर्व और सपनों का संगम बनी। इस उज्ज्वल परेड में शामिल रहे महेश यल्लूर, जिनकी प्रेरक कहानी आज कई युवाओं के लिए एक उदाहरण बन चुकी है।

बेलगावी के पास स्थित गोकाक तालुक के तपसी गांव के रहने वाले महेश एक साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता बसपा किसान हैं और माता लक्ष्मी गृहिणी। आर्थिक रूप से सीमित साधनों के बावजूद परिवार ने हमेशा बच्चों को उच्च संस्कार और शिक्षा देने का प्रयास किया। महेश की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने के लिए संघर्ष करते हैं। यह संदेश भी कि अनुशासन, मेहनत और दृढ़ता से कोई भी मंदिल पाई जा सकती है।

सेना में भर्ती का जुनून
राजकीय कॉलेज गोकाक से बीए की पढ़ाई पूरी करने वाले महेश के मन में बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। वे बताते हैं, मैं अपने गांव के सैनिकों को देखकर हमेशा प्रेरित होता था। बचपन में लकड़ी की तलवार बनाकर खेलने वाले मेरे सपने आज असली वर्दी में बदल गए हैं। महेश का सेना में जाने का जुनून और मेहनत उन्हें बेलगावी तक ले आया, जहां उन्होंने अग्निवीर के कठिन प्रशिक्षण को पूरे समर्पण के साथ पूरा किया।

अनुशासन का असली अर्थ समझा
महेश कहते हैं कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें न सिर्फ सैन्य कौशल, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण गुण भी सीखने को मिले। यहां आकर अनुशासन का असली अर्थ समझ आया। शारीरिक फिटनेस का कितना महत्व है, यह भी सीखा। हर दिन एक नया अनुभव था, जिसने मुझे मजबूत और आत्मविश्वासी बनाया। 31 सप्ताह के कठोर प्रशिक्षण के बाद अब वे अपनी पहली तैनाती के लिए तैयार खड़े हैं—गर्व और जिम्मेदारी के साथ।

सपना पूरा होते देखकर दिल भर आया
परिवार के लिए यह क्षण किसी उत्सव से कम नहीं था। परेड के बाद महेश की छोटी बहन मंजूला, जो बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा हैं, भावुक होकर बोलीं, मेरे भाई को सेना की वर्दी में देखकर जो गर्व महसूस हुआ है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती। हमारे गांव का नाम रोशन हो गया। माता-पिता ने भी बेटे के इस मुकाम को परिवार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। मां लक्ष्मी ने कहा, बेटा बचपन से यही कहता था कि सेना में जाना है। आज उसका सपना पूरा होते देखकर दिल भर आया है।