संस्कार शब्द का अर्थ है शुद्धिकरण। संस्कारों की पहली पाठशाला घर से शुरू होती है। हम जो घर से सीखते हैं, वही बाहर करते हैं। इसके बाद स्कूल में संस्कारों का समायोजन होता है। संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। यदि संस्कार न हों तो हमारी सामाजिक जिम्मेदारियां और सामाजिक भागीदारी शून्य होगी। इसके अलावा संस्कारों में एक अहम संस्कार है, जिसे परोपकार कहा जाता है। परोपकार के जरिए ही समाज में हम एक दूसरे की भावनाओं को समझ पाते हैं। इसी के जरिए हम एक दूसरे की मदद के लिए प्रेरित होते हैं। यदि यह संस्कार न हो तो हम समाज में कोई स्थान प्राप्त नहीं कर सकते। लिहाजा संस्कारों की कड़ी में हमें परोपकार के बारे में पता होना चाहिए। संस्कार हमारे जीवन का आधार विषय पर आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में हुब्बल्ली की महिलाओं ने अपने विचार रखे। प्रस्तुत हैं उनके विचार:
बचपन से ही अच्छे संस्कारों का बीजारोपण जरूरी
श्री वासु पूज्य संगीत मंडल हुब्बल्ली की अध्यक्ष निर्मला भंडारी पाली ने कहा, जीवन में शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है। संस्कार किसी किताबों में नहीं मिलते। संस्कारों के लिए संयुक्त परिवार अहम भूमिका निभाते हैं। संयुक्त परिवार में दादा-दादी समेत अन्य बड़ों की सीख मिलती है। जिस तरह विनय के बिना विद्या नहीं उसी तरह संस्कार के बिना जीवन में कुछ नहीं। खुद के बारे में बताते हुए निर्मला भंडारी ने कहा कि वे सात बहनें हैं लेकिन परिवार के मिले अच्छे संस्कारों की वजह से ही वे जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। बच्चों में बचपन से ही अच्छे संस्कारों का बीजारोपण जरूरी है। हमारी सोच सकारात्मक हो। अपनी सोच को सकारात्मक रखकर ही हम समाज में आगे बढ़ सकते हैं और देश की तरक्की में अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं। संस्कारों में परोपकार सबसे अहम है। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए, तभी एक समृद्ध और सुरक्षित समाज का निर्माण होगा। संस्कार ही हमें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते हैं।
बिना संस्कारों के जीवन पशु समान
अजीत निवासी जयश्री भूरट ने कहा, बिना संस्कारों के जीवन पशु समान है। बच्चों को धार्मिक पाठशाला भेजने से उनमें संस्कारों की समझ पैदा होती है। बच्चों को गुरुजनों एवं उच्च कोटि के लोगों के पास भेजने से उनमें संस्कार विकसित होते हैं। माता-पिता की भूमिका भी बच्चों के संस्कारों में खास भूमिका निभाती है। प्रवचन के माध्यम से भी संस्कार मिलते हैं। श्रवण कुमार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कारों की वजह से ही आज समूची दुनिया श्रवण कुमार को याद करती हैं और माता-पिता की सेवा के लिए श्रवण कुमार का नाम लिया जाता है। हमारा व्यवहार ही हमारी पहचान है। व्यवहार को उत्कृष्ट बनाने के लिए संस्कार होने चाहिए। संस्कार व्यक्ति को हमारे इसी परिवेश से मिलते हैं।
बच्चों को जैन धार्मिक पाठशाला भेजें
तखतगढ़ निवासी वर्षा पोरवाल ने कहा, संस्कारों का बहुत महत्व है। हम बच्चों को जैन धार्मिक पाठशाला में भेजें। इससे उन्हें संस्कार सीखने को मिलेंगे। बच्चे इससे बड़ों का आदर-सम्मान करना सीखेंगे। घर पर भी बच्चों को संस्कारों के बारे में बताएं। माता-पिता यदि संस्कारी होंगे तो इसका असर बच्चों पर पड़ेगा। बच्चे, बड़ों को देखकर जल्दी सीख जाते हैं। संस्कार हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें आज के युग के साथ संस्कारों को लेकर चलना चाहिए। संस्कारों की कड़ी घर से शुरू होती है। हम वही सीखते हैं जो घर में होता है। लिहाजा, हमारे संस्कार ऐसे होने चाहिए जो न सिर्फ हमारी पहचान बनें, बल्कि हमारे परिवेश की भी पहचान बनें।
संस्कार हमारी परम्परा का हिस्सा
सिवाना निवासी नीतू बागरेचा ने कहा, संस्कार हमारी परम्परा का हिस्सा है। अच्छे-बुरे के बीच अंतर की पहचान संस्कार से होती है। संस्कार से हमें यह सीख मिलती है कि उचित तरह से व्यवहार कैसे किया जाता है। दादा-दादी, नाना-नानी से हमें संस्कार मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्कारों का ही असर है कि बेटे हर्ष बागरेचा ने पौषध करवाए हैं। छात्र जीवन में हमें कई संस्कार सीखने को मिलते हैं, जो जीवनपर्यंत आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते हैं। संस्कार न सिर्फ चरित्र निर्माण में सहायक होते हैं, बल्कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी संस्कारों का महत्व है।
युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाएं
सिवाना निवासी कुसुम भोजानी ने कहा, संस्कार यदि अच्छे होंगे तो शिक्षा भी सही दिशा में जाएगी। युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाएं ताकि आने वाला कल बेहतर हो। घर-पाठशाला में संस्कारों को लेकर रोजाना बातचीत करें। इससे बच्चे नैतिक मूल्यों एवं संस्कारों के प्रति सजग रह सकेंगे। शिक्षा मनुष्य के जीवन का कीमती तोहफा है। व्यक्ति के जीवन की दशा-दिशा बदल देता है। संस्कार मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा गुण है। अच्छे संस्कारों से ही मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है और जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा, तभी वह परिवार, समाज और देश का विकास कर सकेगा।
संस्कारों की शुरूआत घर से
जावाल निवासी तनुजा जैन ने कहा, संस्कारों का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है। संस्कार से ही मनुष्य का निर्माण होता है। जीवन में आगे बढऩे के लिए अच्छे संस्कार तथा अनुशासन बहुत आवश्यक है। संस्कार का अर्थ अच्छे कार्यों, गुणों और नैतिक मूल्यों का पालन करने से है। अच्छे संस्कार ही एक अच्छे व्यक्तित्व का आधार होते हैं। बिना संस्कारों के एक अच्छे चरित्र का निर्माण नहीं हो सकता। संस्कार बेहद अहम होते हैं। संस्कारों के बिना न तो हम आगे बढ़ सकते हैं और न ही उन्नति कर सकते हैं। संस्कारों की शुरूआत घर से होती है और स्कूल से संस्कारों की समझ बढ़ती है।