19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नेत्रावती का प्रवाह रुकना संकट का संकेत

जिले की प्रमुख जीवन नदी नेत्रवती धूप के कारण पूरी तरह से सूख गई है और उप्पिनंगडी में इसका प्रवाह रुक गया है। इसके चलते पेयजल की समस्या पेश आने का खतरा मंडरा रहा है।

3 min read
Google source verification
,

नेत्रावती का प्रवाह रुकना संकट का संकेत,नेत्रावती का प्रवाह रुकना संकट का संकेत


गहराया पेयजल संकट
मेंगलूरु. जिले की प्रमुख जीवन नदी नेत्रवती धूप के कारण पूरी तरह से सूख गई है और उप्पिनंगडी में इसका प्रवाह रुक गया है। इसके चलते पेयजल की समस्या पेश आने का खतरा मंडरा रहा है।

दिन ब दिन जैसे-जैसे सूरज चढ़ रहा है, भू-जल स्तर कम होता जा रहा है। नेत्रावती नदी में पानी का बहाव लगातार कम होता जा रहा था।

चार-पांच दिनों से नमी बिल्कुल कम हो गई है और मंदिर के सामने बहाव रुक गया है। कुमारधारा नदी के संगम के तुरंत बाद, नेत्रावती फिर से बहती है, परन्तु कुमारधारा नदी के संगम से पहले, नेत्रवती नदी के सूखने से नदी बंजर हो गई है। चार साल पहले भी पानी का बहाव इसी तरह कम था। अब फिर वही स्थिति हो गई है। पिछले तीन वर्षों में, जनवरी से शुरू होकर हर महीने अक्सर बारिश होती थी।

पीने के पानी की कोई समस्या नहीं थी परन्तु इस साल इस हिस्से में बारिश नहीं हुई है, ऐसे में पेयजल प्रभावित होने की चिंता सता रही है। उप्पिनंगडी गयापद, दक्षिण काशी के नाम से मशहूर होने का कारण लोग नेत्रवती कुमारधारा नदी के संगम में स्थल पर अपने मृतक रिश्तेदारों की अस्थियों को विसर्जित करने के बाद पिंड प्रधान आदि कार्यों को अंजाम देने के बाद पुण्य स्नान करते हैं। नदी सूख जाने के कारण पुण्य तीर्थ में स्नान करने में समस्या आ गई है।

कुमारधारा नदी का घटा जल स्तर

कई वर्षों के बाद, राज्य के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कक्के सुब्रह्मण्य में कुमारधारा नदी में जल स्तर में भारी गिरावट आई है। यदि यही मौसम बना रहा तो डर है कि कुमारधारा का प्रवाह रुक जाएगा और श्रद्धालुओं के स्नान के लिए पानी की कमी हो जाएगी।

कडब तालुक के कुक्के सुब्रह्मण्य क्षेत्र के पास बहने वाली कुमारधारा नदी जीवन की एक नदी है जो पूरे वर्ष बहती है। यह नदी कुमारपर्वत क्षेत्र से बहती है, फिर उप्पिनंगडी में नेत्रावती नदी में मिलती है और फिर मेंगलूरु में समुद्र में मिलती है। कुक्के आने वाले श्रद्धालु इस नदी में स्नान कर भगवान के दर्शन करते हैं। बरसात के दिनों में यह नदी उफान पर रहती है। हाल के वर्षों में, गर्मियों में नदी की प्रवाह दर कम हो रही है।

इस साल जलस्तर और नीचे गिर गया है। स्नानागार के पास किंडी बांध में बोर्ड लगा होने के कारण श्रद्धालु वहां जमा जल में स्नान करते हैं परन्तु बांध के नीचे पानी का बहाव संकरा है और नदी का तल सूख गया है।

साफ नहीं हुई गाद
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले आई भारी बाढ़ के दौरान ऊपर से बहने वाली मिट्टी कुमारधारा नदी के स्नानागार के पास गाद की तरह भर गई है। इसकी निकासी की मांग कई साल से की जा रही है, परन्तु अभी तक गाद साफ नहीं किया गया है। यही वजह है कि गर्मी में नदी सूख जाती है। यही गाद वर्षा ऋतु में बाढ़ का कारण भी बनती है।

कुमारधारा नदी का जल प्रदूषित हुआ है। सीवेज के पानी का पर्याप्त शुद्धिकरण नहीं होने से दर्पण तीर्थ नदी प्रदूषित हो रही है और पानी का रंग बदल गया है। उसी नदी का जल आगे बढक़र कुमारधारा में मिल जाता है, वह भी प्रदूषित है। इसके चलते श्रद्धालु पवित्र स्नान करने से कतराते हैं। प्रशासन के लिए साफ-सफाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पानी गंदा होने से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है।

अस्थायी व्यवस्था

कुमारधारा नदी के संगम के बाद स्नान करने का मौका होने के बाद भी यह स्थान खतरनाक होने से श्रध्दालुओं की सुविधा के लिए संगम के पास एक शेड का निर्माण कर पुण्य स्नान के लिए अस्थायी व्यवस्था उपलब्ध की गई है।

करुणाकर सुवर्णा,अध्यक्ष, सहस्रलिंगेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति