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विकास की बाट जोह रहे हैं पर्यटन स्थल

गदग जिला डम्बल गांव के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल विकास की बाट जोह रहे हैं। गदग निर्वाचन क्षेत्र के विधायक एचके पाटिल ने जिला प्रभारी और पर्यटन मंत्री बनने के बाद जिले में पर्यटन स्थलों और स्मारकों के विकास को प्राथमिकता दी है, इसलिए डम्बल गांव के लोगों को पर्यटन स्थलों के विकास की उम्मीद जगी है।

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विकास की बाट जोह रहे हैं पर्यटन स्थल

विकास की बाट जोह रहे हैं पर्यटन स्थल

वास्तुकला में एक विशेष आकर्षण दोड्डबसप्पा का मंदिर
जनता कर रही पर्यटन स्थलों के विकास, डम्बल उत्सव की मांग
हुब्बल्ली. गदग जिला डम्बल गांव के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल विकास की बाट जोह रहे हैं। गदग निर्वाचन क्षेत्र के विधायक एचके पाटिल ने जिला प्रभारी और पर्यटन मंत्री बनने के बाद जिले में पर्यटन स्थलों और स्मारकों के विकास को प्राथमिकता दी है, इसलिए डम्बल गांव के लोगों को पर्यटन स्थलों के विकास की उम्मीद जगी है।

वास्तुकला में एक विशेष आकर्षण: गदग जिले के मुंडरगी तालुक में डंबला के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित दोड्डबसप्पा का स्मारक मंदिर हरे-भरे हरियाली से घिरा हुआ है और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। 12वीं सदी के इस स्मारक ने मामूली मरम्मत को छोडक़र अपनी मूल सुंदरता बरकरार रखी है। तारे के आकार का यह मंदिर कर्नाटक की वास्तुकला में एक विशेष आकर्षण बना हुआ है।

पुरातत्व विभाग करे आवश्यक कार्रवाई

जिला प्रभारी मंत्री एचके पाटिल को विशेष रुचि लेते हुए हमारे गांव में पर्यटन स्थलों के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। कला, संस्कृति, साहित्य एवं धार्मिक क्षेत्रों के प्रति युवाओं को जागरूक करने का कार्य निरन्तर किया जाना चाहिए। इसके चलते पुरातत्व विभाग को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।

कल्याण चालुक्य वास्तुकला का दर्पण है। खूबसूरत स्मारक में गर्भगृह, अंतराल, नवरंग, मुखमंड़प और नंदीमंड़प हैं। मंदिर के सभी भाग विशाल हैं। शिखर आकर्षक है, जिसके प्रत्येक चरण पर जटिल मूर्तियां हैं और छोटे मंडप की सजावट से अलंकृत है। पूरी चोटी तारे के आकार की है, जो पहली नजर में ही ध्यान खींच लेती है। इस बात के लिखित प्रमाण हैं कि दोड्डबसप्पा का मंदिर प्राचीन काल में अज्जेश्वर के नाम से जाना जाता था। इसे अज्जमेश्वर भवन के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण अज्जिमय्या नामक व्यक्ति ने करवाया था। इस मंदिर के सामने कल्याण चालुक्य के सोमेश्वर चतुर्थ का सन 1184 ई. का एक शिलालेख है।

चौकोर पत्थर से निर्मित स्मारक: डब्बूगल्लू गुड़ी (सोमेश्वर) मंदिर गांव के मुंडरगी-गदग रोड पर स्थित है। यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना है और इसे डब्बूगल्लू गुड़ी सोमेश्वर और मधुमेश्वर के अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

चौकोर पत्थर से निर्मित इस स्मारक में एक गर्भगृह, अंतराल और नवरंग हैं।