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वीर तेजा जयंती: वीर तेजा के बताए मार्ग पर चलकर देश की उन्नति में करें योगदान

वीर तेजा जयंती पर राजस्थान पत्रिका की मेजबानी में हुई परिचर्चा

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वीर तेजा जयंती के अवसर पर वीर तेजा की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित करते जाट समाज के लोग।

वीर तेजा जयंती के अवसर पर वीर तेजा की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित करते जाट समाज के लोग।

वीर तेजाजी गौरक्षक के साथ सत्यवादी थे। हमारा कर्तव्य है कि हम वीर तेजाजी के जीवन से प्रेरणा ले। हमें वीर तेजाजी की जीवनी पढऩी चाहिए और उनके अनुरूप राष्ट्रोत्थान में जुटना चाहिए। गायों की रक्षा के लिए वीर तेजाजी ने अपने प्राणों का उत्सर्ग कर समाज को निरीह जीवों की रक्षा करने का संदेश दिया। हम उनके बताए मार्ग पर चलकर देश की उन्नति में योगदान दें। वीर तेजा जयंती पर राजस्थान पत्रिका की मेजबानी में हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित परिचर्चा में जाट समाज के लोगों ने यह बात कही। प्रस्तुत हैं परिचर्चा के प्रमुख अंश:

वचन निभाने के लिए प्राणों का बलिदान
भाम्भू नगर निवासी चुन्नीलाल भाम्भू ने कहा, राजस्थान में 11वीं सदी में हुए वीर तेजाजी, जिन्हें उनकी महानता ने देवताओं जैसा बना दिया। देश भर में उनके कई मंदिर मिल जाएंगे। माना जाता है कि तेजाजी महादेव शिव के 11वें अवतार थे। तेजाजी को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। जाट समुदाय के लोग तेजाजी को न सिर्फ अपना आराध्य देव मानते हैं. बल्कि उन्हें अपना आदर्श भी मानते हैं। तेजाजी वचन के पक्के थे और वचन निभाने के लिए ही उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

सत्य पर चलने का संदेश
भाखरी खेड़ा निवासी अन्नाराम मूंडण ने कहा, वीर तेजाजी ने सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। वे वचन के पक्के थे। भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजादशमी पर्व मनाया जाता है। दशमी को जिन-जिन स्थानों पर वीर तेजाजी के मंदिर हैं, मेला लगता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु नारियल चढ़ाने एवं बाबा की प्रसादी ग्रहण करने तेजाजी मंदिर में जाते हैं। तेजाजी के माता और पिता भगवान शिव के उपासक थे। माना जाता है कि माता राम कंवरी को नाग-देवता के आशीर्वाद से पुत्र की प्राप्ति हुई थी। जन्म के समय तेजाजी की आभा इतनी मजबूत थी कि उन्हें तेजा बाबा नाम दिया गया था।

तेजाजी के नाम की राखी
चौखला निवासी मोहनलाल डूडी ने कहा, ऐसी मान्यता है कि हलोतिया करने के समय तेजाजी के नाम की राखी बांधी जाती है। यह रक्षा करने का धागा माना जाता है। तेजाजी का मुख्य मंदिर खरनाल में हैं। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशवीं को तेजाजी की याद में खरनाल गांव में भारी मेले का आयोजन होता हैं जिसमे लाखों लोग शामिल होते हैं। राजस्थान में विभिन्न जगहों पर तेजाजी के मंदिर बने हुए हैं। कई चौराहों एवं मार्गों के नाम भी वीर तेजा के नाम पर है।