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हैदराबाद

दूसरी जगह शुरू हुई ट्रेन, आंध्र से घर जाने के लिए भटकने लगे प्रवासी मजदूर, कोई सुनने वाला नहीं

Andhra Pradesh News: यह सभी इस संकट भरे समय में (Migrant Labourers Worried In India) प्रशासनिक कार्यालयों और रेलवे स्टेशन का चक्कर काटने को मजबूर हो गए हैं…

हैदराबादMay 02, 2020 / 09:14 pm

Prateek

दूसरी जगह शुरू हुई ट्रेन, आंध्र से घर जाने के लिए भटकने लगे प्रवासी मजदूर, कोई सुनने वाला नहीं

दूसरी जगह शुरू हुई ट्रेन, आंध्र से घर जाने के लिए भटकने लगे प्रवासी मजदूर, कोई सुनने वाला नहीं

नेल्लोर,विक्रम जैन: लॉक डाउन 3.0 में केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों में फसे प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य में भेजने के लिए तैयारियां की है। यह सुविधा राज्य और रेलवे के समन्वय से पूरा होने वाला है। इसी बीच प्रवासी मजदूर अपने घर जाने को जूझ रहे हैं। इन सभी को प्रशासनिक सहायता की दरकार है। इसलिए यह सभी इस संकट भरे समय में प्रशासनिक कार्यालयों और रेलवे स्टेशन का चक्कर काटने को मजबूर हो गए हैं। लेकिन वहां से भी इन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है।

 

 

दूसरी जगह शुरू हुई ट्रेन, आंध्र से घर जाने के लिए भटकने लगे प्रवासी मजदूर, कोई सुनने वाला नहीं

उत्तर प्रदेश में उन्नाव के शुक्लाखेरा निवासी राम सजीवन ने बताया कि नेल्लोर में आइसक्रीम बेच कर गुजरा करते है। हर साल गर्मी के मौसम में यहाँ काम करने के लिए पहुँच जाते है। कुछ पैसों को वह इस्तेमाल करते है और बाकी को घर भेज देते है। इससे उनके परिवार का गुजरा होता है। अब लॉक डाउन की वजह से कोई काम नहीं है और पैसे भी नहीं है। हमें ना ही यहाँ की स्थानीय भाषा आती है और ना ही यहाँ हम किसी को जानते है। सुबह कम पे निकलते है और रात को वापिस रूम पे लौट जाते है। इसके लिए उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।

 

 

दूसरी जगह शुरू हुई ट्रेन, आंध्र से घर जाने के लिए भटकने लगे प्रवासी मजदूर, कोई सुनने वाला नहीं

इधर बिहार के मधेपुरा निवासी सुरेंद्र मंडल ने बताया कि कमरे से करीब 18 किलोमीटर पैदल चलकर सरकारी कार्यालय पहुँचने के बाद भी प्रशाशन की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है। ना खाने को है और ना ही पिने को पानी। आसपास के लोगों की सहायता से दिन गुजार रहे है। शहर से दूर 20 किलोमीटर दुर्र एक राइस मिल में काम करने के लिए बिहार से करीब 40 मजदुर यहाँ पहुंचे थे। पर लॉक डाउन की वजह से यहीं पर अटक गए। कुछ दिन तक कांट्रेक्टर ने खाना थो दिया पर जैसे जैसे लॉक डाउन बड़ा वैसे उसने भी हाथ खड़े कर दिए। अब प्रशासन से गुहार लगा रहे है की वो उनकी सहायता करें और उन्हें गृह राज्य बिहार भेजने के लिए दखल दें। गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा से छात्रों को लेकर रांची के लिए ट्रेन चलाई गई थी। इसी तरह तेलंगाना से रांची के हटिया रेलवे स्टेशन के लिए भी ट्रेन चली थी। इसी तरह अन्य राज्यों में भी ट्रेन या बस के माध्यम से परिवहन हुआ था।


अंतर्राज्यीय परिवहन की जगी आस…

 

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इधर आंध्र प्रदेश में अंतर्राज्यीय परिवहन की व्यवस्था की आशा जगी है। शनिवार शाम को संयुक्त ज़िला कलेक्टर विनोद कुमार ने जिला परिषद कार्यालय में आयोजित संवादाता सम्मलेन में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को दो सप्ताह के लिए 17 मई तक बढ़ाने का फैसला किया है। चिकित्सा सेवाओं, आईटी सेवाओं, अंतरराज्यीय, अंतर-जिला माल सेवाओं, आवश्यक वस्तुओं, बैंकिंग, कूरियर, डाक और आंगनवाड़ी केंद्रों की भी अनुमति है। इस उद्देश्य से एक विशेष सेल की स्थापना की गई है। प्रवासी कर्मचारी उप-कलेक्टर कार्यालय, तहसीलदार के कार्यालय, हेल्प डेस्क से संपर्क करेंगे और उन्हें पूरा विवरण देंगे। प्रशासन बसों को सैनिटाइज कर आगे की तैयारियां कर रहा है। प्रस्थान से पहले सभी की स्वास्थ्य जांच होगी। शनिवार को भी यात्रियों के इकट्ठा होने के बाद बस रवाना की गई।

 

केंद्र सरकार ने लॉक डाउन के कारण जिले से फंसे व्यक्तियों, छात्रों, प्रवासियों और मजदूरों को भेजने का आदेश दिया है। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। दूसरे राज्यों में प्रवासियों को भेजने की बात पर उन्होंने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बात करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

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