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तेलंगाना विधानसभा में एकीकृत जातिगत जनगणना के लिए प्रस्ताव पेश

तेलंगाना के पिछड़ा वर्ग मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने राज्य में एकीकृत जातिगत जनगणना कराने के लिए शुक्रवार को विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया।

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तेलंगाना के पिछड़ा वर्ग मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने राज्य में एकीकृत जातिगत जनगणना कराने के लिए शुक्रवार को विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया।
प्रभाकर ने सदन में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा कि सरकार समाज में कमजोर वर्गों को मजबूत करने के लिए एकीकृत जातिगत जनगणना और घर-घर जाकर सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण करेगी। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने सकारात्मक उद्देश्य से यह पहल की है और प्रस्ताव को सदन के समक्ष पारदर्शी रूप से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने एक एकीकृत सर्वेक्षण किया था लेकिन 10 वर्ष बाद भी उसने सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।
उन्होंने विपक्ष पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव में कानूनी मान्यता की किसी भी कमी के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने जातिगत जनगणना लागू करने पर सुझाव भी आमंत्रित किए। रेड्डी ने कहा कि प्रस्ताव की कोई कानूनी मान्यता नहीं होने की बात करना सही नहीं है। हम इसे गोपनीय रूप से नहीं कर रहे हैं। राज्य में मजबूत पकड़ रखने वाले कुछ छोटे समुदायों को बुरा लग सकता है, लेकिन हम सुझावों के लिए तैयार हैं।
सरकार ने मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक जातिगत जनगणना पर प्रस्ताव पेश किया है। इसका लक्ष्य कमजोर वर्गों को उनकी जनसंख्या के आधार पर धन आवंटित करके आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। रेड्डी ने रचनात्मक प्रस्तावों पर विचार करने के लिए सरकार की तत्परता का आश्वासन देते हुए सभी से प्रस्ताव का स्वागत करने और सुझाव देने का आग्रह किया।
प्रस्ताव का समर्थन करते हुए पूर्व मंत्री एवं बीआरएस विधायक गंगुला कमलाकर ने सुझाव दिया कि जातिगत जनगणना सख्ती से की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रस्ताव को जातिगत जनगणना से संबंधित कानून में बदलने की सिफारिश की।
कमलाकर ने विचार व्यक्त किया कि जाति जनगणना को पूरा करने के तुरंत बाद कानून बनाना अधिक प्रभावी होगा। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के प्रथम मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव अति पिछड़ा वर्ग को मान्यता देने और उन्हें मंत्री पदों में शामिल करने की वकालत करते थे।