
इंदौर. दस साल में करीब 1200 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी कान्ह नदी को उसके पुराने स्वरूप में नहीं लौटाया जा सका। खुद कान्ह नदी अपनी बदहाली और जिम्मेदारों की मानसिक तंगहाली पर मन ही मन आंसू बहाने को मजबूर है। जिम्मेदारों ने रिकाॅर्ड में ही नाला घोषित कर दिया था, जबकि यह वह नदी है जो पुराने इंदौर के लिए लाइफ लाइन साबित हुआ करती थी। पुराने समय में जिस जगह कलकल बहती नदी के किनारे पक्षियों का कलरव, लोगों की चहल-कदमी देखी जाती थी, वहां अब कीचड़, गंदगी और बदबू नजर आती है।हाल ऐसे है कि दुर्गन्ध के कारण इंसान का कुछ देर ठहरना भी दूभर हो जाता है। जलग्रहण प्रबंधन नीति से काम न होने के कारण जीर्णोद्धार नहीं हो सका है।अब सिंहस्थ-2028 को लेकर एक बार फिर करीब 1500 करोड़ खर्च कर कान्ह नदी के जीर्णोद्धार की योजना बनाई जा रही है। इसमें 12 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और 2 इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) बनाए जाएंगे।
शिप्रा में मिलती है कान्ह
दरअसल, इंदौर से कुछ किलोमीटर दूर जानापाव से 7 नदियां निकलती हैं, वहीं शहर के मध्य से कान्ह और सरस्वती नदी बहती है, जिसका उद्गम स्थल रालामंडल को बताया जाता है। शहर के मध्य से 14 किमी कान्ह नदी और 3 से 4 किलोमीटर में सरस्वती नदी बहती है। कान्ह नदी आगे शिप्रा में मिलती है। कान्ह को कुछ वर्ष पहले नाले का नाम दे दिया गया था। नदी अब अस्तित्व खो चुकी है।शहरवासी लंबे समय से कान्ह के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। अब तक 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च जरूर हुए, लेकिन उनका कोई बेहतर परिणाम नहीं हुआ। उलटा उनका उद्धार हो गया, जिन्होंने सफाई और निर्माण के काम में सहभागिता की है। इसके पीछे वजह है कि जल प्रबंधन नीति से काम नहीं होने के कारण ही नदी का जीर्णोद्धार नहीं हो सका है।
नदी को पुनर्जीवित करने के लिए यह जरूरी
-नदी में जो नाले मिलते हैं, उन्हें स्टार्टिंग पॉइंट पर ही ट्रीट करना पड़ेगा।
-सहायक नदियों के कैचमेंट से अतिक्रमण हटाना होगा।
-जगह-जगह स्टॉप डैम बनाने होंगे।
- नदी में वाटर रिचार्ज सॉफ्ट बनाए जा सकते हैं।
-नदी को आखिरी लेयर तक गहरा कर पांच मीटर तक साफ करना होगा।
-नदी के आसपास बड़े पेड़ न लगाकर छोटे-छोटे पौधे लगाने होंगे।
अभी 9 एसटीपी
कान्ह नदी को पुनर्जीवित करने के लिए निगम ने 9 एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाए हैं। इनमें से छह नदी और तीन डाउन स्ट्रीम में बनाए हैं। इसका उद्देश्य था कि नदियों में ट्रीटेड वाटर मिल सके, लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हुए। कान्ह के तीन किमी के हिस्से को स्मार्ट सिटी के तहत सुधारा गया है।
नई योजना : 12 एसटीपी व 2 ईटीपी बनेंगे, 38 किमी हिस्से में बिछेगी सीवरेज लाइन
बहरहाल, लंबे समय से अनदेखी के बाद अब कान्ह को पुराने स्वरूप में लाने के लिए योजना तैयार की है।इसमें अलग-अलग मद से करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च कर 12 एसटीपी, 2 ईटीपी बनाए जाएंगे और 338 किमी हिस्से में सीवरेज लाइन बिछाई जाएगी।नगर निगम ने कुछ समय पहले करीब 29 गांव को निगम सीमा में शामिल किया है।यहां के 338 किमी के हिस्से में सीवरेज लाइन बिछाकर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ताकि नदी में वेस्ट न मिले।
सिंहस्थ से पहले नदी को शुद्ध करने की तैयारी
सहायक यंत्री आरएस देवड़ा के मुताबिक, 2027 तक कान्ह नदी को पुराने स्वरूप में लाने की योजना है। नमामि गंगे के अंतर्गत 3 स्थान पर एसटीपी बनाए जाएंगे, जिसमें पहला लक्ष्मीबाई प्रतिमा 35 एमएलडी, दूसरा कनाडि़या में बेगमखेड़ी 40 एमएलडी और तीसरा कबीटखेडी में नया 120 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बनाया जाएगा। फिलहाल कबीटखेडी में जो एसटीपी है, जिनकी क्षमता 12 और 78 एमएलडी है। उनकी गुणवत्ता अब ठीक नहीं है। यह 2004 से संचालित हो रहे है। इसलिए इनके स्थान पर एक सबसे बड़ा 120 एमएलडी का एसटीपी बनाया जाएगा। इन तीनों एसटीपी के निर्माण के लिए करीब 511 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 15 वर्ष तक एजेंसी संचालन और देखरेख करेगी, वही सिंहस्थ और अमृत योजना दो के अंतर्गत कुल 09 एसटीपी का निर्माण किया जाना है। अमृत दो में 568 और सिंहस्थ के लिए 525 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट तैयार किया गया है। कुम्हेडी और पालदा जैसे दो उद्योग क्षेत्रों में दो ईटीपी का निर्माण किया जाना है। यहां औधोगिक क्षेत्रों में निकलने वाले पदार्थ का निपटान किया जाएगा। सिंहस्थ से पहले नदी को शुद्ध कर लिया जाएगा और 2055 तक एसटीपी की देखरेख और संचालन का कंपनी का जिम्मा होगा।
नदियों में पानी बहता रहेगा तो सेहत ठीक होगी
जल प्रबंधन विशेषज्ञ सुरेश एमजी ने बताया, कान्ह को पुनर्जीवित करने के लिए परंपरागत प्रणाली अपनानी होगी। सुगड़ी और चोरल नदी को हमने पुनर्जीवित किया है। नदियों में मिलने वाले नालों को शुरू में ही ट्रीट करना पड़ेगा। कैचमेंट को अतिक्रमण मुक्त कर जगह-जगह छोटे-छोटे स्टॉप डैम होने चाहिए ताकि यहां नदियों में पानी बहता रहे। बहाव वाली नदियों की सेहत ठीक रहती है।
Published on:
22 Sept 2024 11:40 am
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