
Ahmedabad serial blast: खंडवा रोड पर दे रहे थे ब्लास्ट की ट्रेनिंग सिमी के यह गुर्गे
अचानक दबिश देकर दबोचा नहीं तो कर देते हमला
26-27 मार्च 2008 की रात करीब 3-4 बजे पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित संगठन सिमी के प्रमुख सहित 13 पदाधिकारियों को पकडा था और बाद में गुजरात में हुए ब्लास्ट में इनकी भूमिका सामने आई। अधिकांश आरोपी अलग अलग जेलों में बंद है। इंदौर के मामले में कोर्ट सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुना चुका है। बडी आतंकी घटना की साजिश रचने सभी यहां जमा हुए थे।
मिले थे 13 हथियारबंद आरोपी, छह को फांसी
पुलिस ने 2008 में श्याम नगर के मकान से सिमी सरगना व अपने संगठन को फिर से खड़ा करने का प्रयास कर रहे सफदर नागोरी निवासी महिदपुर, उज्जैन, हाफिज हुसैन निवासी कनार्टक, आमिल परवाज निवासी उन्हेल, शिवाली पिता जब्दुल करीम निवासी करेल, कमरुद्दीन पिता चांद मोहम्मद निवासी उज्जैन, शादुली पिता अब्दुल करीम निवासी केरल, यासीन पिता अब्दुल हमीद निवासी कनार्टक, कामरान पिता हाजी शाहिद निवासी खंडवा, अंसार पिता अब्दुल रज्जाक निवासी केरल, मनुरोज पिता कुतुबद्दीन निवासी महाराष्ट्र, शमी पिता दादेशा अख्तर निवासी कनार्टक, खालिद अहमद निवासी महाराष्ट्र और अहमद बेग पिता खाजा बेग निवासी कर्नाटक को पकड़ा गया था। गुजरात में हुए ब्लास्ट में भी इनकी भूमिका सामने आई थी। कोर्ट ने सफदर नागौरी, आमिल परवेज, हाफिज हुसैन, कमरुद्दीन, शिवाली व शादुल को फांसी तथा अंसार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
5 अधिकारियों को मिला था राष्ट्रपति का वीरता पदक
सिमी संगठन के सदस्यों को पकडऩे वाले पुलिस अधिकारियों के साहस पर 5 को राष्ट्रपति का वीरता पदक मिल चुका है। तत्कालीन एसपी धार चंचल शेख, एएसपी धार वीरेंद्रसिंह, सीएसपी धार बीएस परिहार, टीआइ पीथमपुर बीपीएस परिहार, टीआइ धामनोद अजय कैथवास यह सम्मान पाने वाले अफसर थे। इंदौर स्पेशल ब्रांच के एसआइ योगेश शर्मा को पिस्टल व एक लाख का इनाम मिला था।
एक हॉल में 8 तो दूसरे में मिले थे पांच
वरिष्ठ अधिकारियों को आतंकी संगठन से जुड़े सदस्यों के जमा होने की सूचना मिली थी। पहले पीथमपुर में इकट्ठा होने की बात थी तो पुलिस पूरी तैयारी से पहुंची। वह नहीं मिले, फिर पता चला कि इंदौर के श्याम नगर में है। आतंकी हथियारबंद थे, हमला कर सकते थे इसलिए पुलिस पूरी तैयारी से पहुंची। रात 3-4 बजे श्याम नगर में गफ्फार बेकरी वाले के मकान पर पहुंचे। सतर्कता से दरवाजा खुलवाया तो सफदर नागौरी सामने था। उसे कवर कर टीम ने दबिश दी। एक हॉल में 8 तो दूसरे में 5 सो रहे थे। हथियार उठाते उसके पहले ही पुलिस ने पकड़ लिया। पता चला कि खंडवा रोड पर ग्राम आरोद, बलवाड़ा में नए सदस्यों को विस्फोट की ट्रेनिंग देते थे। इस मामले में सभी को आजीवन कारावास हुई। केरल में भी कुछ आरोपियों पर केस था, वहां जाकर भी गवाही दी तो वहां भी सजा हुई थी।
बीपीएस परिहार, तत्कालीन टीआइ पीथमपुर, केस के जांच अधिकारी, वर्तमान में एसीपी अन्नपूर्णा।
थोडा भी चूक हो जाती तो हो जाता बाटला हाउस जैसा केस
सिमी सदस्यों की सूचना पर पुलिस टीम ने घेराबंदी की। सिमी सदस्य हथियारबंद थे, हमला करने में देरी नहीं करते। पुलिस पूरी तैयारी से पहुंची, उन्हें हथियार उठाने का मौका ही नहीं दिया। पुलिस अगर जरा भी चूक करती तो फिर दिल्ली के बाटला हाउस जैसा केस हो सकता था। बाद में सभी को सजा भी हुई।
वीरेंद्रसिंह, तत्कालीन एसीपी, वर्तमान सिंगरौली एसपी।
Published on:
19 Feb 2022 11:57 am
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