19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

41 करोड़ के आबकारी घोटाले में उपायुक्त रघुवंशी को क्लीन चिट

रघुवंशी ने तत्कालीन सहायक आयुक्त संजीव दुबे और उनकी टीम को ठहराया जिम्मेदार

2 min read
Google source verification
excise scam

इंदौर. 41 करोड़ रुपए के आबकारी घोटाले में तत्कालीन उपायुक्त विनोद रघुवंशी को क्लीन चिट दे दी गई है। बुधवार को जारी आदेश में रघुवंशी की दलीलों को सही पाते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। जांच अधिकारियों को दिए बयान में रघुवंशी ने घोटाले के लिए तत्कालीन सहायक आयुक्त संजीव दुबे और उनकी टीम को ही दोषी ठहराया है।

घोटाला अगस्त-17 में सामने आया था। शराब दुकान संचालित करने वाले ठेकेदारों ने मास्टरमाइंड अंश त्रिवेदी व राजू दशवंत के साथ चालान में फर्जीवाड़ा कर दिसंबर 2015 से अगस्त 2017 के बीच विभाग को 41 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया। प्रारंभिक जांच के बाद तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, वेयर हाउस प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस प्रभारी एसएन पाठक, एसआई कौशल्या सबनानी सहित ६ को सस्पेंड किया। तत्कालीन उपायुक्त विनोद रघुवंशी का भी ट्रांसफर कर उनके खिलाफ जांच के आदेश हुए। विभाग ने साथ ही राजस्व संग्रह शाखा के सहायक आबकारी अधिकारी रविप्रकाश दुबे, आनंदीलाल भटेवरा लेखापाल व प्रभारी तोजी शाखा को भी आरोप पत्र देकर उनकी जांच की गई थी।

सहायक आयुक्त व टीम ने की लापरवाही : जांच टीम को रघुवंशी ने बताया कि 2 नवंबर 2015 से 6 सितंबर 2017 तक दुबे सहायक आबकारी आयुक्त रहे। उनके पदभार ग्रहण करने के उपरांत ही दिसंबर 2015 से 30 जुलाई 2017 के बीच शराब कारोबारियों ने कूटरचित चालान से शासन को करीब 41 करोड़ 73 लाख का नुकसान पहुंचाया। उन्होंने चालान मिलान (तौजी मिलान) के लिए बार-बार अफसरों को निर्देशित किया। इंदौर को छोडक़र संभाग के अन्य जिलों में मिलान कर लिया, जिससे वहां घोटाला नहीं हुआ। दुबे व अन्य अफसरों ने यह कार्रवाई नहीं की।

आयुक्त ने मानी थी रघुवंशी की गलती
आबकारी आयुक्त ने उपायुक्त रघुवंशी के तर्कों को सही नहीं मानते हुए अपनी टीप में लिखा, तौजी सत्यापन नहीं होने पर रघुवंशी को त्वरित कार्रवाई करना चाहिए थी। वे यह तथ्य कलेक्टर व आबकारी आयुक्त के सामने ला सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जांच के बाद वाणिज्यिककर विभाग के उप सचिव अदिति कुमार त्रिपाठी ने आदेश में लिखा कि रघुवंशी के उत्तर को स्वीकार करते हुए आरोप पत्र समाप्त किया जाता है, अनुशासनात्मक कार्रवाई भी समाप्त की जाती है।