
इंदौर। 10वीं और 12वीं कक्षा में पढऩे वाले विद्यार्थी अपनी ज्यादातर बातें अपने दोस्तों से शेयर करते हैं, माता-पिता से नहीं। ऐसे में माता-पिता बच्चों के साथ ही उनके दोस्तों के सम्पर्क में रहें। बच्चों के साथ माता-पिता का व्यवहार दोस्ताना होना चाहिए। इस तरह रहकर ही वर्तमान में बच्चों, किशोरों या युवाओं को आत्महत्या से पहले ही संभाला जा सकता है। यह कहना है आइआइएम (IIM Indore) इंदौर का।
दरअसल यहां किए गए एक शोध में सामने आया है कि बच्चे माता-पिता से ज्यादा दोस्तों के नजदीक ज्यादा होते हैं। स्कूल के दोस्तों को एक-दूसरे के बारे में जितना पता होता है उतना माता-पिता भी नहीं जान पाते। आपको बता दें कि भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM Indore) इंदौर के स्ट्रेटजी एवं अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रोफेसर प्रशांत सल्वान और जियो मार्ट डिजिटल के हेड एल एंड डी राजागोपालन पुरुषोत्तम द्वारा इस दिशा में किए (IIM Indore) शोध में यह बात सामने आई है। दोनों ने समाज में बढ़ते तनाव और इससे होने वाली आत्महत्याओं के कारणों को जानने के लिए यह शोध किया। इसमें बच्चों से लेकर नौकरीपेशा व्यक्तियों की आदतों और उनकी दिनचर्या पर नजर रखी गई।
386 व्यक्तियों को किया चिह्नित
(IIM Indore) शोध में विभिन्न उम्र के 386 व्यक्तियों को चिह्नित किया गया। संवेगात्मक बुद्धि (एआइ) के नाम से किए गए शोध में पूरा एक साल का समय लगा। परिणाम में सामने आई इन बातों को कंपनियों के साथ साझा किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों को तनाव में आने से रोका जा सके। इससे आत्महत्याओं के मामले में कमी लाई जा सकती है। शिक्षण संस्थानों (IIM Indore) को भी बताया जा रहा है कि वे बच्चों की मानसिकता को समझते हुए निर्णय लें। माता-पिता के लिए भी कई ध्यान रखने वाली बातें साझा की जा रही हैं।
घरेलू विवाद से नकारात्मक असर, तो स्कूल में दोस्तों से प्रभावित होते हैं बच्चे
प्रो. साल्वन का कहना है कि प्राइमरी में पढऩे वाले बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रभाव घर के माहौल से पड़ता है यानी माता-पिता के बीच अगर विवाद लगातार होता है तो इससे बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब बच्चा बड़ी कक्षा में जाता है तो यहां उन पर सबसे ज्यादा वे अपने दोस्तों से प्रभावित होते हैं। कई बातें ऐसी होती हैं जो माता-पिता को नहीं पता होतीं लेकिन बच्चों के दोस्तों को पता होती हैं। (IIM Indore) 10 से 12 कक्षा में पढऩे वाले स्टूडेंट्स अपनी कई बातें माता-पिता से साझा नहीं करते। ऐसे में माता-पिता को बच्चों के दोस्तों के संपर्क में रहना चाहिए। बच्चों के साथ उनका व्यवहार दोस्तों की तरह होना चाहिए। कई मामलों में माता-पिता ने बच्चे के दोस्तों से जानकारी मिलने पर उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाने के पहले ही संभाल लिया।
गलत सब्जेक्ट, ऑफिस की राजनीति बढ़ाती है तनाव
जब बच्चा कालेज में जाता है और कुछ समय बाद उसे अहसास होता है कि गलत कोर्स का चुनाव कर लिया है तो यह स्थिति सबसे ज्यादा तनाव पैदा करने वाली होती है। बच्चे को यह लगता है कि उसका भविष्य खराब हो जाएगा। इसी तरह जब युवा (IIM Indore) नौकरी करने लगते हैं, तो वे दफ्तर में होने वाली राजनीति में पड़ जाते हैं। इससे भी उनके दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पैसा कमाने की चाहत भी इस समय ज्यादा रहती है। इससे वे कई बार अवसाद में आ जाते हैं। शोध में यह बात भी सामने आई कि 30 वर्ष तक की उम्र वाले युवा जल्दी तनाव में आ जाते हैं।
यूं कम होगा तनाव (IIM Indore)
20 से 25 वर्ष की उम्र के बीच के लोग मेडिटेशन करें। अच्छी नींद लें। किताबें पढ़ें। परिवार के साथ तालमेल रखें।
26 से 30 वर्ष के लोग व्यक्तिगत अंतरदर्शन, परिवार से तालमेल, जिम प्रशिक्षण और खेल जैसी गतिविधियों पर ध्यान दें।
31 से 40 वर्ष की उम्र में योग, मेडिटेशन, खेल, किताब पढऩा और परिवार के साथ तालमेल बेहतर रखने पर ध्यान दें।
41 से 50 वर्ष की उम्र में व्यक्तिगत अंतरदर्शन, योग, नींद और किताब पढऩे की आदत रखनी चाहिए।
वहीं 51 वर्ष से ज्यादा उम्र है तो योग, शारीरिक गतिविधि और बेहतर नींद की आदत बनाए रखना जरूरी है।
Updated on:
19 Oct 2022 12:53 pm
Published on:
19 Oct 2022 12:51 pm
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
