
A unique marriage: कहते हैं सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है। लेकिन क्या हो कि जब दृश्य और दृष्टा दोनों की दृष्टि ही दगा दे जाए। कैसा हो जब दो लोग जीवन सफर के लिए एक-दूसरे का 'साकार सपना' बन रहे हों , लेकिन दोनों ही दृष्टिहीन हों। क्या इन हालातों में सुर दृष्टि का इतना मुखर विकल्प बन सकता है कि दोनों एक-दूसरे को देखने की तमाम हसरतें शिद्दत से पूरी कर सकें और इस सुरीली संगत से यह शानदार सृष्टि और भी सुंदर हो उठे।
इंदौर के पास बड़वाह के महेश्वर रोड स्थित शादी हाल में हुआ एक विवाह इन्हीं सब असाधारण 'क्या-क्यों-कैसे' की वजह से चर्चा में है। अनामिका वर्मा की आंखों की ज्योति किसी बीमारी की वजह से चली गई, जबकि नीलेश राजपूत जन्म से अंतरमन से ही दुनिया को देखते रहे। अनामिका संगीत की शिक्षिका हैं। नीलेश भी संगीत से जुड़े हैं। संगीत ने दोनों को मिलाया। फिर सुर मिले। साथ चलने का इरादा बना। परिजन की सहमति और सहयोग से इन दोनों ने समारोहपूर्वक एक-दूसरे का हाथ थाम लिया।
प्री-वैडिंग से लेकर विवाह तक की वे तमाम रस्में पूरी धूमधाम से की गईं जो सामान्य दृष्टि के लोग करते हैं। इन्हीं रस्मों के दौरान यह खुशखबर मिली कि दोनों का एमपी-पीएससी के लिए चयन हो चुका है। दिव्यांगता के बावजूद हासिल की गई यह उपलब्धि दोनों की 'नजरों ' में 'सामान्य' है क्योंकि वे किसी भी रूप में खुद को सामान्य से अलग नहीं महसूस करते। यह नजरिया ही अन्य लोगों के लिए उनका संदेश है।
पत्रिका-न्यूज टुडे के सवाल पर अनामिका कहती हैं- 'वे सिर्फ मेरी बाहरी सुंदरता देखकर मुझे पसंद कर रहे थे, लेकिन दृष्टि खोकर मैंने जाना कि असल सुंदरता अंदर की होती है।'
'सुरों से। मैंने उन्हें और उन्होंने मुझे। वे मेरे संगीत के सखा हैं और बेशक कभी-कभी गुरू भी।'
'वही…सधे हुए सुरों सी सच्चाई, वैसी ही शांति, वैसा ही सुकून।'
मखमली आवाज में अनामिका-नीलेश एक दूसरे की तरफ इशारा करते हुए गुनगुनाते हैं- 'तू है तो दिल धड़कता है, तू है तो सांस आती है…तू ना तो घर घर नहीं लगता, तू है तो डर नहीं लगता…। ' बेशक ऐसे सुरों से दुनिया को देखने की एक नई दृष्टि मिलती है।
Updated on:
22 Feb 2025 12:14 pm
Published on:
21 Feb 2025 01:25 pm
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