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उपलब्धि; दुनिया में हम टॉप-10 में

दुनिया भर में हुई पुरातात्विक खोजों के आधार पर 2022 की दस महत्वपूर्ण पुरातत्विक खोजों में बांधवगढ़ को शामिल किया है

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बांधवगढ़ में सर्वेक्षण के दौरान विशाल वराह प्रतिमा मिली। जिसकी लंबाई 6.4 मीटर, ऊंचाई 5.03 मीटर एवं चौड़ाई 2.77 मीटर है

बांधवगढ़ में सर्वेक्षण के दौरान विशाल वराह प्रतिमा मिली। जिसकी लंबाई 6.4 मीटर, ऊंचाई 5.03 मीटर एवं चौड़ाई 2.77 मीटर है

इंदौर. आजादी का अमृत काल है। ऐसे में बलिदानियों को याद किया जा रहा है। मालवा की माटी को बलिदानियों ने अपने रक्त से सींचा है। इस मिट्टी से तिलक करो... अभियान में इंदौर ने अहम भूमिका भी निभाई। वहीं पुरातात्विक सर्वेक्षण व खोजों में बड़ी उपलब्धियां हाथ लगी है। साल का सबसे व्यापक सर्वेक्षण बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में चला। इसे 2022 की दुनियाभर के खोज-सर्वेक्षण अभियानों की श्रृंखला में टॉप 10 में जगह मिली है।
26 प्राचीन मंदिर व अवशेष मिले
बांधवगढ़ में सर्वेक्षण के दौरान 26 प्राचीन मंदिर व अवशेष, 26 गुफाएं, दो मठ, दो स्तूप, 24 अभिलेख, 46 प्रतिमाएं, 20 बिखरे हुए अवशेष एवं 19 जल संरचनाएं मिली हैं। नए पुरावशेषों में पहली बार वहां से प्राप्त मनौती स्तूप एवं बौद्ध स्तूप युक्त स्तम्भ महत्वपूर्ण हैं। इस खोज से बांधवगढ़ के इतिहास में एक नवीन अध्याय जुड़ गया।
अब नए साल से हेरिटेज पाठशाला
ब्रिटेन की हेरिटेज डेली वेबसाइट ने दुनिया भर में हुई पुरातात्विक खोजों के आधार पर 2022 की दस महत्वपूर्ण पुरातत्विक खोजों की सूची जारी की है। इसमें बांधवगढ़ को शामिल किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जबलपुर मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी ने बताया कि 2023 में हेरिटेज पाठशाला भी शुरू की जा रही है।
मिट्टी में अपनी जड़ें
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की... अभियान के तहत पूरे वर्ष इंदौर, उज्जैन, भोपाल, सांची सहित लगभग तीस स्थानों से पवित्र मिट्टी या चरण रज जमा की गई और इसे स्वतंत्रता सेनानियों के शहीद स्थल, उनके जन्म स्थान, उससे संबंधित यादगार जगहों में दर्शन के लिए रखा गया। आजादी के संघर्ष काल में सबसे अधिक फांसी इंदौर में दी गई थी। अमझेरा के राणा बख्तावर सिंह एवं उनके साथियों को इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल के निकट नीम के पेड़ पर लटका दिया गया। वह वृक्ष आज भी है। वहां समाधि भी है। वरिष्ठ पुरावैज्ञानिक डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थान शहीद स्थल, तात्याटोपे के शहीद स्थल शिवपुरी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मस्थान कटक, बाबा साहेब आंबेडकर के जन्मस्थान महू आदि 75 स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ी मिट्टी को स्पर्श करने का अवसर मिला। डॉ. व्यास को इसी वर्ष प्रदेश का प्रतिष्ठित विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान भी प्रदान किया गया है।