
इंदौर। कोरोना संक्रमण की शहर में जब से शुरुआत हुई तब से ही कई निजी अस्पतालों ने अपने यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बंद कर दी। जिसके चलते मरीजों की भारी फजीहत हुई और कई की इलाज नहीं मिलने से मौत हो गई। इसके बाद अब प्रशासन ने इन पर सख्ती की है। अब बिना इलाज किए मरीजों को लौटाने वाले अस्पताल प्रबंधकों पर कार्रवाई होगी। वहीं अस्पताल का जो नियमित स्टॉफ काम पर नहीं लौटा उन पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।दरअसल कलेक्टर मनीष सिंह ने अस्पताल संचालकों को हर स्थिति में मरीजों को लेने के स्पष्ट एवं सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में अस्पताल संचालक या डॉक्टर मरीज को चिकित्सकीय परामर्श देने के लिए इंकार नहीं कर सकते, वे इसके लिए बाध्यकारी हैं। ऐसे डॉक्टर्स, जो अपनी सुविधा नहीं दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवई की जाएगी और उनका प्रैक्टिस लाइसेंस रद्द किया जाएगा। इसी प्रकार पैरामेडिकल स्टॉफ की सूची, जो अपने कार्य पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार कर अस्थाई जेल में भेजा जाएगा। वर्तमान में इंदौर शहर में को मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 के तहत संक्रामक रोग कोविड-19 हेतु अधिसूचित किया गया है। इसी प्रकार एपीडेमिक डिसीज एक्ट 1897 एवं मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 के अन्तर्गत समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय संस्थानों की समस्त प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल किया है। अत: कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी मनीष सिंह ने इससे संबंधित कार्य से इंकार किए जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- इन धाराओं में दर्ज होगा प्रकरण
कलेक्टर ने अस्पताल संचालकों को निर्देशित किया है कि आज ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों का जो भी स्टॉफ उपस्थित नहीं होता है, उसकी सूचना, नाम, सही घर का पता एवं मोबाईल नंबर सहित चंद्रमौली शुक्ला के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे। ऐसे समस्त कर्मचारियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 187, 188, 269, 270, 271 एवं डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 की सुसंगत धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया जाकर उक्त धाराओं के साथ-साथ सीआरपीसी 107,116,151 के तहत उनको गिरफ्तार किया जाकर उन्हें अस्थाई जेल में तब तक रखा जाएगा जब तक कि ये लोग नागरिकों की समस्याग्रस्त समय में अपने चिकित्सालय में सेवा देने हेतु सहमति नहीं दें।
- इलाज नहीं मिले तो यहां करें शिकायत
यह भी निर्देशित किया गया है कि परामर्श डॉक्टर पूर्ववत ही अनिवार्यत: मरीजों की सेवा हेतु ग्रीन श्रेणी के अस्पतालों में उपस्थित होंगे तथा पूरी तन्मयता एवं लगन सेवा देंगे। समस्त परामर्श चिकित्सकों को जिला प्रशासन की ओर से अनुरोध है कि इस विपत्ति समय में नागरिकों को उनकी सेवाओं की अत्यंत आवयकता है। उन्होंने बताया कि प्रशासन, अस्पतालों को सम्पूर्ण संसाधन जुटाने में आवश्यक सहयोग भी मुहैया करवाएगा। चिकित्सकों को यह भी निर्देशित किया कि इन निर्देशों की लापरवाही किए जाने पर नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट-2019 की धारा 27 के तहत इसे प्रोफेशनल एंड एथिकल मिसकंडक्ट की श्रेणी में माना जाकर रजिस्ट्रेशन निरस्तीकरण तथा प्रेक्टिस से प्रतिबंध की कार्यवाही की जाएगी। ऐसे अस्पताल, जिसमें कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों का इलाज हो रहा है, वे रेड, ऐसे अस्पताल जिसमें कोविड-19 वायरस से मिलते जुलते लक्षण वाले मरीजों का इलाज हो रहा है, वे यलो श्रेणी एवं ग्रीन श्रेणी में ऐसे अस्पताल हैं, जहां सामान्य मरीजों का इलाज हो सकेगा। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि किसी भी मरीज को कोई भी ग्रीन श्रेणी का अस्पताल बिना किसी ठोस कारण के इलाज के लिए मना नहीं कर सकेगा, अगर वह मरीज येलो श्रेणी का है, तब भी उसे ससम्मान आईसोलेशन कक्ष क्षेत्र में बैठाया जाए एवं उपरोक्तानुसार मार्गदर्शन दिया जाए। ऐसे मरीज जिन्हें किसी भी अस्पताल में इलाज प्राप्त होने में समस्या उत्पन्न हो रही है, वे कलेक्टर कार्यालय के कंट्रोल रूम में 0731-2363009 पर शिकायत दर्ज करवा सकता है।
Published on:
12 Apr 2020 10:20 am
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