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इंदौर। श्री वैजनाथ मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो महाराष्ट्र के बीड जिले के परली वैजनाथ में स्थित है। यह एक छोटी पहाड़ी पर पत्थर से बनाया गया है और एक दीवार से घिरा हुआ है जो इसे चारों ओर से बचाता है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर पत्थरों का उपयोग कर बनाया गया है। मंदिर जमीनी स्तर से लगभग 75-80 फीट की ऊंचाई पर है। मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व से है और वहां मौजूद शानदार दरवाजा पीतल से मढ़ा हुआ है। चार मजबूत दीवारों से घिरे, मंदिर में गलियारे और एक आंगन हैं। मंदिर के मुख्य द्वार को "महाद्वार" भी कहा जाता है, जिसमें पास में एक प्राचीन (गवाक्ष) यानि खिड़की है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए एक विस्तृत सीढ़ी है। साल 1700 में शिव भक्त अहिल्यादेवी होलकर ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
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देश में तीन वैद्यनाथ हैं। ये देवघर (झारखंड), परली महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में है। प्राचीन काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार भक्त तीनों ही जगह को ज्योतिर्लिंग मानते हैं। संत समाज और शंकराचार्य आदि में इस बात को लेकर अक्सर मतभेद होते रहते हैं। कुछ साल पहले उज्जैन में भी इस बात पर विवाद हुआ था कि किसे 12वां ज्योतिर्लिंग कहा जाए। इस पर सब अपने अपने तर्क देते हैं। हालांकि भक्त तीनों ही जगह को श्रद्धानुसार ज्योतिर्लिंग मानते हैं।
शिवपुराण में मिलती है पुष्टि
महाराष्ट्र के ‘परली वैजनाथ (वैद्यनाथ)’ को ज्योतिर्लिंग मानने की पुष्टि शिवपुराण में भी मिलती है। करवीर पीठ के शंकराचार्य विद्यानृसिंह भारती ने भी इसी ‘पूर्वोत्तर’ स्थान बीड जिले के परली के अधिकृत होने की पुष्टि की है। इसी गांव के पंडित विजय पाठक ने इसकी पुष्टि करते हुए शिवपुराण में दिया गया श्लोक सुनाया था।
कई कहानियां हैं प्रचलित
इस मंदिर के साथ दो बहुत प्रसिद्ध किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। किंवदंतियों में से एक अमृत के बारे में बात करता है और दूसरा राक्षस राजा रावण और शिव की अपनी खोज के बारे में बात करता है। परली वैजनाथ मंदिर के दर्शन सुबह 5 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक और शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक किए जा सकते हैं।
Updated on:
13 Jun 2022 01:30 pm
Published on:
13 Jun 2022 01:07 pm
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