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जमीन अधिग्रहण में नियमों की अनदेखी नहीं: एकेवीएन 

 राऊ-रंगवासा में प्रस्तावित डायमंड पार्क के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित करोड़ों की जमीन को लेकर हाई कोर्ट की एकल पीठ के फैसले को औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन) इंदौर ने युगल पीठ में चुनौती दी है।

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Shruti Agrawal

Aug 02, 2017

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इंदौर. राऊ-रंगवासा में प्रस्तावित डायमंड पार्क के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित करोड़ों की जमीन को लेकर हाई कोर्ट की एकल पीठ के फैसले को औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन) इंदौर ने युगल पीठ में चुनौती दी है। एकेवीएन की अपील पर मंगलवार को 1.30 घंटे तक सुनवाई हुई।

एकेवीएन ने तर्क रखा कि जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में अनदेखी नहीं की, इसलिए जमीन हमें ही मिले। जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस वेद प्रकाश शर्मा की पीठ ने एकेवीएन और किसानों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। जिस जमीन को लेकर विवाद है, उसकी कीमत करीब एक हजार करोड़ रुपए आंकी जा रही है।


एकेवीएन का पक्ष

हीरे-जवाहरात के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने 20 वर्ष पहले इंदौर के पास राऊ-रंगवासा-पीगडम्बर क्षेत्र में 118 हेक्टेयर क्षेत्र में डायमंड पार्क बनाने की योजना बनाई थी। 73 हेक्टेयर निजी जमीन की आवश्यकता थी।
जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया नियमानुसार पूरी की गई। किसानों से जिन शर्तों पर जमीन ली, उन्हेें पूरा किया इसलिए जमीन एकेवीएन को मिलना ही चाहिए।

किसानों का पक्ष

1996 में सरकार ने डायमंड पार्क का नोटिफिकेशन किया था।

2004 में अवॉर्ड पारित किया और 2008 में अधिग्रहण भी किया, लेकिन मुआवजा नहीं दिया। जमीन अधिग्रहण बिल 2013 का पालन नहीं हुआ।

सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर ने कहा, यदि अवार्ड होने के बाद पांच साल तक अधिग्रहण नहीं होता या मुआवजा नहीं देते हैं तो प्रक्रिया निरस्त हो जाती है।

2006 में नोटिफिकेशन जारी होने के बाद 21 अगस्त 2008 को मुआवजा बगैर अधिग्रहण किया।