अंश ने पूछताछ में आबकारी विभाग के दो अफसरों के नाम लेते हुए पुलिस को बताया, दोनों अफसरों की शराब दुकानों में साझेदारी थी। शराब दुकानों से होने वाली आय का पैसा इन दो अफसरों के पास भी जाता था और वे ऊपर तक राशि पहुंचाने का दावा करते थे। इस कारण तीन साल से घोटाला चलता रहा।
अंश ने आबकारी अफसरों पर आरोप लगाए तो उससे पूछताछ की पूरी वीडियो रिकार्डिंग भी करा ली गई। मालूम हो, अफसर घोटाले की जानकारी नहीं होने का दावा करते रहे हैं, वहीं अंश का कहना है कि जब हर 15 दिन में चालान की राशि बैंक व ट्रेजरी में जमा चालान से मिलान करने (तौजी मिलान) की व्यवस्था हो तो अफसरों ने तीन साल तक ऐसा क्यों नहीं किया? अगर वे घोटाले में शामिल नहीं होते तो काफी पहले घोटाला सामने आ जाता।
अंश का दावा है, ऑडिट रिपोर्ट में सांठगांठ कर अफसरों ने ही घोटाले को दबाया। इसके एवज में सभी को काफी पैसा दिया गया। हालांकि पुलिस अफसर अभी अंश की बात पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। एएसपी धनंजय शाह का कहना है, अंश के अधिकारिक बयान नहीं हुए हैं। बयान दर्ज होने के बाद, जिनके नाम सामने आएंगे, उनकी जांच होगी। वैसे वरिष्ठ पुलिस अफसरों की नजर में आबकारी के साथ ट्रेजरी व बैंक के कुछ लोग भी जिम्मेदार हैं। अफसरों ने केस डायरी पढऩे के बाद माना कि तीन साल से चल रहे घोटाले में तीनों विभागों के लोग की मिलीभगत है। सभी ने अपनी राय जांच कर रही एसआईटी के सामने रख दी है। अब विधिक राय लेकर सभी पर कार्रवाई की जाएगी।