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जो चाहे वो करूं, मेरी मर्जी: जहां मर्जी वहां रोककर बसें लगा रहीं ट्रैफिक जाम

साढ़े तीन लाख लोग लोक परिवहन पर निर्भर।

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जो चाहे वो करूं, मेरी मर्जी: जहां मर्जी वहां रोककर बसें लगा रहीं ट्रैफिक जाम

जो चाहे वो करूं, मेरी मर्जी: जहां मर्जी वहां रोककर बसें लगा रहीं ट्रैफिक जाम

इंदौर. इंदौर ने देश में बीआरटीएस का सफल मॉडल तैयार किया और आज उस पर 55 से 60 हजार यात्री सफर कर रहे हैं। इसके साथ विकसित सिटी बस नेटवर्क में लगभग 2.30 लाख लोग आते-जाते हैं। हजारों लोग अन्य लोक परिवहन का उपयोग भी कर रहे हैं। इसके बावजूद सिटी बस का सिस्टम चरमरा गया है। एक्सपांशन प्लान तो दूर मौजूदा सिस्टम की कमियों से जनता परेशान है। बैंक गांरटी के अभाव में 30 सीएनजी बसें डिपो में धूल खा रही हैं। 80 इलेक्टि्रक बसें फैक्ट्री में अटकी हैं। कहीं भी बसें रोककर ट्रैफिक जाम किया जा रहा है। एआइसीटीएसएल द्वारा तैयार सिस्टम के ध्वस्त होने की वजह अफसरों व जनप्रतिनिधियों की अरुचि है। सरकारी दावा है कि शहर में इंटर सिटी, इंट्रा सिटी बसें मिलाकर 600 से ज्यादा बसें चल रही हैं। इसमें 450 सिटी व 150 से ज्यादा इंटरसिटी बसें हैं। विशेषज्ञों का कहना है, जनसंख्या और शहर में आवाजाही की तुलना में यह संख्या ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। यही वजह है कि ई-रिक्शा, सिटी वैन और ऑटो बेतरतीब तरीके से चल रहे हैं।

बीआरटीएस भी असुरक्षित
बीआरटीएस पर बसों की िस्थति असुरक्षित है। हाल ही में कुछ दुर्घटनाएं इस बात की तस्दीक कर रही हैं। बसों की हालत से इनकी राइडरशिप प्रभावित हो रही है। पिछले साल ग्रीन कॉरिडोर की कल्पना करते हुए बीआरटीएस की बसों को इलेक्टि्रक बसों से रिप्लेस करने की योजना थी। 6 माह बाद भी ये बसें नहीं मिली हैं।

कहने को ही हैं जीपीएस
सिटी बसों में जीपीएस भी लगे हैं। इसके बावजूद बस स्टॉप से इतर ये बसें कहीं भी रूक रही हैं। यह मनमानी शहर में ट्रैफिक जाम की बड़ी वजह है। बस स्टॉप का रखरखाव नहीं है। रूट पर यात्री बढ़ रहे हैं, लेकिन समय और कनेक्टिविटी प्लान सिर्फ कागजों तक सीमित है। सूत्रों का कहना है कि एआइसीटीएसएल की स्थिति चरमरा गई है। ऑपरेटर आसानी से नहीं आ रहे हैं। सिटी बसों के नए स्टॉप बनाने के लिए टेंडर नहीं आए हैं। अब इन्हें रिडिजाइन कर बोर्ड में रखा जाएगा।

योजना पर काम जारी
सभी रूट्स पर बसें चल रही हैं। वर्तमान में 600 प्लस बसें हैं। इनके विस्तार की योजना पर काम जारी है।
मनोज पाठक, सीईओ, एआइसीटीएसएल