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डीएवीवी में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध

बैठकों में नहीं रखी जाएगी पीने के पानी की बोतल, प्लास्टिक वाले गुलदस्तों पर भी रोक

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डीएवीवी में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध

डीएवीवी में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध

इंदौर. स्वच्छता में लगातार तीन बार अव्वल रहने वाले शहर इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। नालंदा और तशशिला परिसर के साथ-साथ स्कूल ऑफ फार्मेसी और आईईटी में भी ऐसे प्लास्टिक का कोई भी सामान इस्तेमाल नहीं होगा।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने वाली डीएवीवी प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी बन गई है। शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए निगम ने पैकिंग वाली पानी की बोतलें, दवाईयां व कई तरह के सामान में प्लास्टिक को छूट दी है। लेकिन, यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने किसी भी तरह का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश जारी किया है। विभागों में होने वाली किसी भी बैठक में पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतलें नहीं रखी जाएंगी। इसके साथ ही अतिथियों के स्वागत, अभिनंदन में उपयोग लिए जाने वाले ऐसे गुलदस्ते जिनमें प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है उनका भी विकल्प तलाशने के लिए कहा है। फिलहाल ऐसे गुलदस्तें भी प्रतिबंधित है।

सीईटी में गड़बड़ी से लिया सबक, हर परीक्षा के लिए अलग कमेटी

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के विभागों में एडमिशन के लिए तीन नई कमेटियां बनाई गई है। ये कमेटी अभी से प्रवेश परीक्षाओं की योजना तैयार करेगी। तीनों कमेटी के चेयरमैन सीनियर प्रोफेसर डॉ. आशुतोष मिश्रा रहेंगे। ताजा सत्र के लिए हुई ऑनलाइन सीईटी (कॉमन इंट्रेंस टेस्ट) में तकनीकी गड़बडिय़ों के कारण यूनिवर्सिटी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। लगातार तीन साल हुई ऑनलाइन सीईटी के पहले दो साल भी छोटी-छोटी गड़बड़ी सामने आई है। सीईटी कमेटी में प्रो. कन्हैया आहुजा समन्वयक व प्रो. अखिलेश सिंह, प्रो.बीके त्रिपाठी और प्रो. प्रतोष बंसल सदस्य रहेंगे। नॉन सीईटी कमेटी में प्रो. अशोक शर्मा समन्वयक व प्रो. वसीम खान और प्रो. ए चोयल सदस्य है। इसी तरह एमई, एमटेक और फार्मेसी में प्रो. संजीव टोकेकर समन्वयक और प्रो. राजेश शर्मा सदस्य होंगे। समय पर सत्र शुरू हो इसलिए प्रवेश परीक्षाएं मई में हो सकती है। अगले सत्र की सीईटी से कई कोर्स को बाहर करने पर भी विचार किया जा रहा है। कुछ ऐसे भी कोर्स है जिनकी सीटें काउंसलिंग के अंतिम राउंड के बाद भी रिक्त रह जाती है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने सभी विभागों को हर कोर्स की तीन साल की स्थिति के आधार पर रिपोर्ट देने को कहा है।