
Indore News Rat bite case(photo: freepik/patrika)
Indore News: सबसे स्वच्छ शहर में लोगों के सेहत की सुरक्षा ताक पर है। एक ओर दो माह पहले प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवायएच में दो नवजातों को चूहों ने काट खाया। उनकी मौत हो गई। अब ताजा आंकड़े और चौंका रहे हैं। जून से अब तक 7 माह में ही चूहों ने 1094 लोगों को काटा। हुकुमचंद पॉली क्लीनिक में उनका इलाज किया गया। चूहे सिर्फ अस्पतालों में ही नहीं घरों, होटल, एयरपोर्ट और चौराहों पर भी लोगों को काट रहे हैं। कुत्ते और अन्य जानवर भी काट रहे हैं, पर सबसे ज्यादा चूहों ने काटा। इसके बाद भी स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार ठोस कवायद नहीं कर रहे। हुकुमचंद पॉली क्लीनिक के डॉ. आशुतोष शर्मा का कहना है, आंकड़े इससे अधिक हो सकते हैं।
- एमवायएच में दो माह पहले दो नवजात को चूहों ने काटा। उनकी मौत हो गई। तब पेस्ट कंट्रोल और चूहे पकडऩे के बॉक्स रखे गए।
- रीगल चौराहे पर भी चूहों के सैकड़ों बिल मिले।
-शास्त्री ब्रिज का एक हिस्सा धंसने के बाद ब्रिज के नीचे सैंकड़ों बिल मिले।
- देवी अहिल्या एयरपोर्ट पर भी वेटिंग रूम में चूहों ने यात्री को काटा था।
थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों को चढ़ाने के लिए बिरला अस्पताल के लड बैंक ने एसपायर्ड खून जारी किया था। यह खुलासा सतना पहुंची नाको की टीम की जांच में हुआ है। दो दिन पहले सामने आए इस तथ्य के बाद जांच टीम समेत संबंधित अफसरों ने चुप्पी साध ली है। इधर, मामला उजागर होने के 7 दिन बाद राज्य से लेकर केंद्र की टीम पहुंची। जांच शुरू की, लेकिन अब भी बच्चों को एचआइवी वायरस देने वाले डोनर लापता हैं।
सूत्रों की मानें तो नाको की टीम को जांच में बिरला अस्पताल के ब्लड बैंक में एक्सपायर्ड ब्लड रखा मिला है। इसी तरह का एक्सपायर्ड खून थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को चढ़ाने के लिए इश्यू किया गया। जब मामले में राज्य स्तरीय टीम की सदस्य प्रियंका चौबे से बात की गई तो उन्होंने इससे इनकार नहीं किया। हालांकि उन्होंने इतना कहा कि मामले की जांच की जा रही है। इस बीच मामले में पत्रिका ने बिरला अस्पताल का पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने पक्ष नहीं रखा है।
सरकारी ब्लड बैंक से बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला सप्ताहभर पहले आया। जिला-राज्य, केंद्रीय टीमें जांच कर रही हैं। लेकिन एचआइवी संक्रमित ब्लड डोनर का पता नहीं चल सका। ब्लड बैंक में दलाली के मामले जैसे सामने आए, वैसे में डोनर का पता लगाना मुश्किल है। स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की असिस्टेंट डायरेक्टर मोनल सिंह भी इससे इत्तेफाक रखती हैं।
मामले मेंमध्यप्रदेश की राज्यस्तरीय जांच टीम में शामिल रूबी खान ने चुप्पी साध ली है। सतना सीएमएचओ, सीएस, जिला ब्लड बैंक प्रभारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सागर. आयुर्वेदिक दवाइयों में स्टेरॉयड और एलोपैथिक इंग्रिडिएंट्स मिलाए जा रहे हैं। फिल्मी सितारे घुटने और कमर दर्द के इलाज के नाम पर जिन आयुवेर्दिक दवाइयों का प्रचार कर रहे हैं। उनमें स्टेरॉयड मिले हैं। लोग फिल्मी सितारों के झांसे में आ रहे हैं और उन्हें इन दवाइयों के सेवन से बीपी और शुगर जैसी बीमारी हो रही है। उनकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं और इम्युन सिस्टम खराब हो रहा है।
ये आरोप बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के प्रो. सर्वेश जैन ने लगाए गए हैं। उन्होंने एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) को पत्र लिखकर आयुर्वेदिक दवा कंपनियों पर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऋषिकेश में एपिलेप्सी क्लीनिक है। उनकी आयुर्वेदिक दवाओं में एलोपैथिक इंग्रिडिएंट्स मिले हैं। ऐसी ही शुगर की दवाइयों में एलोपैथिक कम्पाउंड मिलाए गए हैं। प्रो. जैन ने एनएमसी को लिखे पत्र में साफ कहा है कि वे रोज ऐसे मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जो विज्ञापन से दवाइयां खरीदकर तबाह हो चुके हें।
स्टेरॉयड और एलोपैथिक दवाओं मेटफॉर्मिन, फेनिटॉइन आदि के डोज जानलेवा हैं। शुरू में ये दर्द भागते हैं, लेकिन जल्दी ही हाई बीपी, डायबिटीज, किडनी फेल, दिल का दौरा जैसी समस्या होने लगती हैं।
Published on:
23 Dec 2025 09:34 am
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