
बैटरी वेस्ट मेनेजमेंट पॉलिसी लागू, पर्यावरण के लिए खतरा नहीं बनेगा बैटरी का कचरा
इंदौर. बैटरी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में मौजूदा समय की ही बात की जाए तो हर साल लाखों बैटरी के खराब होने से इनका कचरा पर्यावरण के लिए खतरा बनता रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022 लागू किया है। अब हर साल खराब बैटरियों की रिकवरी की समीक्षा होगी। बैटरी निर्माता को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीयन कराना होगा। पहले बैटरी प्रबंधन और हैंडलिंग नियम 2001 लागू था, जिसमें इन नियमों में शिथिलता थी। इसके अलावा ड्राफ्ट बैटरी स्वेपिंग नीति भी जारी हुई है। इसमें चार्ज की गई बैटरी के लिए डिस्चार्ज बैटरी का आदान-प्रदान किया जा सकेगा और वाहन खर्च कम होगा।
मालूम हो, इंदौर में ही 25 लाख से अधिक वाहनों में बैटरी लगी है। इसके साथ पोर्टेबल बैटरी, ऑटोमोटिव बैटरी और औद्योगिक बैटरी आदि बड़े पैमाने पर हैं। शहर में हर साल बड़े स्तर पर इन बैटरियों के खराब होने से कचरा बढ़ रहा है। नए नियम बैटरी निर्माता, डीलर, उपभोक्ता, स्क्रेब बैटरी के संग्रह, परिवहन, नवीनीकरण और रिसाइकलिंग में शामिल संस्थाओं पर लागू होंगे। बैटरी निर्माता को 30 अप्रेल 2023 तक बोर्ड को बताना होगा कि कितनी बेकार बैटरी रिसाइकल या नवीनीकृत की गई।
नहीं हटेगा लेबल
निर्माता को ही बाजार में आई अपनी बैटरियां रिसाइकिल करनी होगी। बैटरियों पर ऐसे लेबल मुद्रित करने होंगे, जिन्हें हटाया या धोया न जा सके। इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रचार के साथ बैटरी प्रौद्योगिकी के निपटान के बारे में जानकारी देनी होगी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
एमपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी का कहना है कि, शहर में बड़ी मात्रा में खराब बैटरियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं। नई नीति लागू होने से पूरे देश में बैटरी के कचरे का बोझ कम होगा। इंदौर में इस नीति का सख्ती से पालन करवाया जाएगा।
नई नीति के फायदे
बैटरी रिसाइकिल और नवीनीकरण उद्योग में निवेश बढ़ने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। नई बैटरियां बनाने में रिसाइकल सामग्री का उपयोग होने से कच्चे माल पर निर्भरता कम होगी। नगर निगम पर ठोस अपशिष्ट कचरे का बोझ घटेगा। बैटरियों में कई भारी धातुएं और जहरीले रसायन होते हैं। घरेलू कचरे के समान निपटान करने से मिट्टी व जल दूषित होता है। लिथियम बैटरी में आग लगने से हवा में जहरीले रसायन ग्लोबल वार्मिंग के कारणों में से एक है। बैटरियों में पाए जाने वाले निकल, कैडमियम, सीसा जैसी धातुओं से गंभीर बीमारी का खतरा रहता है। इन पर नियंत्रण होगा।
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Updated on:
15 Nov 2022 09:19 am
Published on:
15 Nov 2022 09:16 am
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