
kaal bhairav
इंदौर. कनाडिया बायपास में हुए डीपीएस बस हादस पर लोगों का आक्रोश और संवेदनाएं थमी नहीं हैं। बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण चार मासूमों सहित ड्राइवर की मौत हुई थी। इसके अलावा कई बच्चे और टीचर जो उस बस में मौजूद थे वे गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिनका इलाज बॉम्बे हॉस्पिटल में चल रहा है। सभी उन बच्चों को श्रृद्धांजली दे रहे हैं तो जो घायल हैं उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। श्री नाकोड़ा जैन कॉन्फ्रेंस ने बस हादसे में दिवंगत बच्चों व ड्राइवर को श्रद्धांजलि दी। साथ ही घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ 108 नाकोड़ा भैरव चालीसा पाठ किया। इस मौके पर जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय जैन, सौरभ कोठारी, दिलीप शर्मा, कैलाश भटेवरा, राजा बाबू, यश बोथरा आदि मौजूद रहे।
भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की उपासना जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करती है। भैरव चालीसा का पाठ कर आप अपने व्यापार, जीवन में आने वाली कठिनाइयों, शत्रु पक्ष से होने वाली दिक्कतों, बाधा, मुकदमें में जीत, आदि के लिए काल भैरव की उपासना का लाभ मिलता है। यही नहीं भैरव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति मौत के मुंह से बाहर आ जाता है और पूर्णत: स्वस्थ भी हो जाता है। इसका वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है कि भैरव उपासना से जीवन की हर मुश्किल आसान हो जाती है।
भैरव चालीसा पाठ
॥ दोहा ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव जय हारी । जयति काल भैरव बलकारी ॥
जयति सर्व भैरव विख्याता। जयति नाथ ? भैरव सुखदाता ॥
भैरव रुप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुन है भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटाजूट सिर चन्द्र विराजत। बाला, मुकुट, बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरु बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्हो। कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली। दीन्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्घि नवनिधि फल पावत ॥
रुप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बं बं बं शिव बं बं बोतल ॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रुप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
त्न जडि़त कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाई काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोकन स्वान साथ जय। बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महाभीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। श्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत ।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जाकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दु:ख निवारयो। सदा कृपा करि काज सम्हारयो ॥
सुन्दरदास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो ॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥
॥ इति श्री भैरव चालीसा समाप्त ॥
Updated on:
09 Jan 2018 02:25 pm
Published on:
09 Jan 2018 02:23 pm
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