आयुषी ने कहा- कुहू मुझे मां न मानें, लेकिन वह मेरी बेटी की तरह
भय्यू महाराज के जीवन में तनाव की सबसे बड़ी वजह दूसरी पत्नी आयुषी और बेटी कुहू के बीच अनबन थी। फैसले के बाद आयुषी ने उन्हीं कड़वी यादों पर बात की, लेकिन लहजा सबकुछ भूलकर नई शुरुआत करने जैसा था। आयुषी ने कहा, जो क्षति हमारे जीवन में हो गई है, उसके लिए यह सजा काफी छोटी है। कुहू छोटी बच्ची है। मां का निधन होने के कुछ समय बाद पिता का इस तरह से चला जाना.. उसकी मन स्थिति क्या होगी। वह आज भी सदमे से बाहर नहीं आ सकी है। वो भले मुझे अपनी मां नहीं माने, लेकिन मेरे लिए तो वह धरा (छोटी बेटी की तरह ही है।
उन्होंने कहा पूरा षड्यंत्र पलक से महाराज की शादी कराने के लिए रचा गया था। पहले पलक को 1.5 लाख रुपए महीना दिया जाता था, बाद में वह राशि ढाई लाख रुपए महीना कर दी गई थी। यह राशि तीनों आपस में बांट लेते थे। कोर्ट में पेश पलक की वाट्सऐप चैट को लेकर आयुषी ने कहा, कोई लड़की किसी शादीशुदा व्यक्ति को (महाराज) को कैसे अपना पति बता सकती है। मालूम हो कोर्ट ने आयुषी और कुहू को अहम गवाह माना है। दोनों के बीच मतभेद की बातें ट्रायल के दौरान सामने आई थीं आयुषी को कुहू द्वारा मां नहीं मानने सहित धरा को स्वीकार नहीं करने से भी दोनों में मतभेद थे।
सुसाइड नोट पर टिप्पणी की
भय्यू महाराज आत्महत्या केस में कोर्ट ने मौके से बरामद किए सुसाइड नोट पर टिप्पणी की है। कोर्ट ने सुसाइड नोट को सही माना है। यह भी साबित हुआ है कि उसकी लिखावट और हस्ताक्षर दोनों ही महाराज के हैं, लेकिन आत्महत्या के लिए बनी परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में कोर्ट ने लिखा है कि ऐसी स्थिति में भय्यू महाराज के स्वस्थ्य चित्त होने की उम्मीद कम है।
तीनों को 6-6 साल की सजा
कोर्ट ने पिछले सप्ताह आदेश सुरक्षित रखा था। शुक्रवार की कोर्ट नंबर 48 में करीब 12.30 बजे आरोपियों के वकीलों को बुलाया और सजा के मुद्दे पर उनके पक्ष जाने वकीलों ने कम से कम सजा देने की मांग की। दोपहर करीब 1.35 पर कोर्ट ने तीनों को 6-6 साल की सजा सुनाई। 56 पेज के आदेश में 35 गवाहों के बयान, प्रतिपरीक्षण, सबूत सहित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। शासन की ओर अतिरिक्त लोक अभियोजक गजराज भंडारी ने पैरवी की।
हाई कोर्ट में देंगे फैसले को चुनौती
आरोपी पलक की ओर से सीनियर एडवोकेट अविनाश सिरपुरकर, शरद की ओर से एडवोकेट धर्मेंद्र गुर्जर व विनायक की ओर से आशीष चौरे व इमरान कुरैशी ने पैरवी की गुर्जर ने कहा, कोर्ट ने कई अहम बिंदुओं को फैसले में शामिल नहीं किया फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
12 जून 2018 को महाराज ने खुद को गोली मारी थी
18 जनवरी 2019 को तीनों को किया था गिरफ्तार
18 मार्च 2019 को पेश किया गया चालान
28 जनवरी 2022 को आया फैसला
151 सुनवाई में आया फैसला
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कोर्ट परिसर में दोषियों के परिजन की स्थिति
फैसला सुनाए जाने के दौरान कोर्ट परिसर में विनायक दुधाड़े के माता-पिता, पत्नी, भाई व एक बच्चा भी कोर्ट पहुंचा था। सजा के ऐलान से पहले बड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों के पहुंचने से वे कोर्ट रूम से दूर जाकर अपने वकील की टेबल पर पहुंच गए। जैसे ही उन्हें पता चला विनायक को 6 साल की सजा हुई है तो सभी की आंखों से आसू थे। पिता काशीनाथ दुधाड़े ने अपने वकील आशीष चौरे से कहा, यदि हमारा बेटा गलत होता, पैसों की हेराफेरी कर रहा होता तो आज हमारी यह स्थिति नहीं होती। मां बार बार वकील से पूछ रही थी कि बेटे के खिलाफ कोर्ट को क्या सबूत मिले हैं। वकील ने कहा कुछ नहीं.. तो बोली फिर क्यों कोर्ट ने सजा सुनाई है। सुखलिया स्थित लवकुश आवास में विनायक का परिवार रहता है। शरद देशमुख की मां भी कोर्ट पहुंची की मां थी। महाराष्ट्र के अकोला जिले की ग्राम निम्बा में रहने वाले शरद की मां अपने वकील गुर्जर से पूछ रही थी, किस आधार पर सजा मिली, क्या हाई कोर्ट में अपील कर बेटे को जेल से बाहर निकाल सकते हैं। नम आंखों से उन्होंने कहा बेटा निर्दोष है।