
इंदौर. बहुचर्चित भय्यू महाराज सुसाइड केस में न्यायालय ने आज तीन लोगों को दोषी करार दे दिया और उनको छह छह साल की सजा सुनाई है। संत भय्यूजी महाराज ने 12 जून 2018 में अपने आश्रम में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की सुनवाई इंदौर की कोर्ट में चल रही थी।
तीन साल बाद इस मामले की सुनवाई के बाद आज फैसले में तीन लोग दोषी करार दिया गया है। जिला कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने आरोपी सत भय्यूजी की शिष्या पलक, मुख्य सेवादार विनायक और वाहन चालक शरद को दोषी ठहराया है और तीनों को छह-छह साल कैद की सजा सुनाई गई है। इनके खिलाफ धारा 384, 306 और 120बी का मामला दर्ज किया था।
इस मामले में सेवादार विनायक इस मामले में जेल में बंद है और उसकी जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की जा चुकी है। इस मामले में कोर्ट में 32 गवाह पेश हुए थे। गवाहों में भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी, बेटी कुहू और बहन के बयान भी कोर्ट में हो चुके हैं। कोर्ट ने विनय, पलक और शरद को आईपीसी के सेक्शन 306 के तहत दोषी माना है। भय्यू महाराज ने आयुषी के साथ 17 अप्रैल 2017 को शादी की थी।
इस मामले में पुलिस ने भय्यू महाराज की एक डायरी जब्त की थी। इस डायरी में महाराज ने लिखा था कि जीवन से परेशान हूं, इसलिए जीवन छोड़ रहा हूं। हालांकि इस डायरी में आरोपी विनायक को महाराज ने विश्वासपात्र बताया था। लेकिन घटना के छह महीने बाद शरद, विनायक और पलक को आरोपी बनाते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान माना है कि भय्यूजी महाराज को पैसों के लिए प्रताड़ित और ब्लैकमेल भी किया गया था। भय्यूजी महाराज के लिए परिवार से बढ़कर सेवादार थे। महाराज ने उनको आश्रम के काम उन्हें सौंप रखे थे। माना गया कि सेवादारों ने ही उनपर पैसा के लिए दबाब बनाया, इसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे दोषी
न्यायालय के फैसले के बाद दोषियों के अधिवक्ता ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वह उत्ततम न्यायलय तक जाएंगे। जिला कोर्ट ने भय्यूजी महाराज ने खुदकुशी से पहले एक सुसाइड नोट को खारिज कर दिया। जिसमें लिखा था कि मुझे (भय्यूजी महाराज) विनायक पर भरोसा है। इसके साथ ही लिखा था कि मैं किसी भी व्यक्ति के दबाव नहीं हूं।
Published on:
28 Jan 2022 04:25 pm
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