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कांग्रेस के शराब कारोबारी माफिया पर हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

- याचिका लगाने वाले पूर्व विधायक बालमुकुंद सिंह गौतम पर एक लाख रुपए का हर्जाना राजनीतिक वजूद बनाए रखने के लिए लगाई थी चुनाव याचिका, खारिज : हाई कोर्ट  

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इंदौर

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Manoj Mehta

Jun 19, 2018

neena verma, balmukund singh goutam

कांग्रेस के शराब कारोबारी माफिया पर हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी


- धार विधायक नीना वर्मा के खिलाफ दायर चुनाव याचिका खारिज
- वर्मा पर लगाए गए आरोप कोर्ट के समक्ष नहीं हो सके प्रमाणिक
- आठ मार्च को सुनवाई के बाद से सुरक्षित था फैसला

- फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी चुनौती

इंदौर.
धार विधायक नीना वर्मा के खिलाफ दायर चुनाव याचिका सोमवार को हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि अपना राजनीतिक वजूद बनाए रखने के लिए पूर्व विधायक बालमुकुंद सिंह गौतम ने चुनाव परिणाम आने के बाद यह याचिका दायर की थी, उनके द्वारा लगाए गए आरोप कोर्ट में प्रमाणित नहीं हो सके हैं। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। कोर्ट का समय खराब करने पर जस्टिस रोहित आर्य ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है। एक महीने के भीतर गौतम को हर्जाने की राशि विधायक नीना वर्मा को देना होगा। नीना वर्मा के खिलाफ दो चुनाव याचिकाएं हाई कोर्ट में विचाराधीन थीं, एक में उनके खिलाफ फैसला आया था और उनका चुनाव शून्य करने की घोषणा की गई थी, उस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल चुका है, जबकि दूसरी चुनाव याचिका में वर्मा के पक्ष में फैसला आया है। आठ मार्च २०१८ को याचिका पर अंतिम बहस होनेके बाद से फैसला सुरक्षित था जो सोमवार को सुनाया है।

नीना वर्मा की ओर से पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट चम्पालाल यादव और ओमप्रकाश सोलंकी ने बताया, सोमवार को दोपहर लंच से पहले कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। सोलंकी ने बताया, गौतम ने नीना वर्मा पर चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े आरोप लगाए थे। चुनाव प्रचार के दौरान 13 नवंबर 2013 को धार के राजवाड़ा चौक पर आयोजित आमसभा में नीना के पति और पूर्व सांसद विक्रम वर्मा और अशोक जैन के भाषण पर भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया था। इसी तरह 17 नवंबर 2013 को भाजपा कार्यालय पर कार्यकर्तागण की बैठक में अंतु अग्रवाल के भाषण को भ्रष्ट आचरण बताते हुए याचिका प्रस्तुत की थी। याचिका में चुनाव के दौरान वोटरों को प्रभावित करने के लिए पैसे बांटने का भी आरोप था जो कोर्ट में साबित नहीं हो सका।

कोर्ट ने माना विधायक को होना पड़ा परेशान
सोलंकी ने बताया 2013 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद गौतम ने केवल जनता की आंखों मे अपनी छवि बरकरार रखने के उद्देश्य से यह याचिका प्रस्तुत की थी, जबकि याचिका में कोई वैधानिक आधार नहीं थे। इससे न केवल कोर्ट का समय खराब हुआ बल्कि विधायक नीना वर्मा को भी अनावश्यक परेशान होना पड़ा। सोमवार दोपहर सुनाए गए फैसले की कॉपी देर शाम तक हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई थी। याचिका पर बालमुकुंद सिंह गौतम की ओर से पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर ने का कहना है, हम फैसले का अवलोकन करने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।