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विधानसभा चुनाव से पहले भूल सुधार रही भाजपा

इंदौर संभाग की आदिवासी 19 सीटों पर संगठन का फोकस, 2018 में महज तीन सीटों पर मिली थी जीत, टिकट वितरण में हुई थी भारी चूक

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विधानसभा चुनाव से पहले भूल सुधार रही भाजपा

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इंदौर। साल के अंत में होने वाले विधानसभा को लेकर भाजपा माइक्रो मैनेजमेंट शुरू कर दिया है। ऐसी सारी भूलों को सुधारने में जुटी है जिसकी वजह से 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी को करारा झटका इंदौर संभाग से लगा था जहां 37 में से 10 ही सीट जीत पाई थी। तीन को छोड़कर 19 आदिवासी सीटें हार गई थीं। इस बार उस पर फोकस किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश में ये माना जाता है कि इंदौर संभाग से राजनीतिक माहौल बनता भी है और बिगड़ता भी है। इस बात को भाजपा अच्छे से समझ गई है जिसके चलते पार्टी काम पर जुट गई है। यहां पर आधे से अधिक विधानसभा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में इन सीटों पर भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। पार्टी हरसूद, पंधाना और बड़वानी की सीट पर चुनाव जीत पाई थी। झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी और धार की सभी सीट हार गई थी।

हालांकि बाद में जब कमल नाथ सरकार गिरी तो दो कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ली जिसके बाद उपचुनाव में जीती। पिछली बार की चूक को लेकर भाजपा इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है। इस बात का अंदाजा यूं ही लगाया जा सका है कि पार्टी ने अपना फोकस आदिवासी सीटों पर कर दिया है। कुछ समय पहले डॉ. निशांत खरे को जिम्मेदारी सौंपी थी।

उसके बाद लगातार बड़े नेता भी 19 विधानसभा में आदिवासी नेताओं से चर्चा कर रहे हैं। शुरुआत राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने की जिन्होंने पितृ पर्वत पर बुलाकर बैठक की। हाल ही में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश इंदौर आए थे। उन्होंने भी आदिवासी नेताओं को बुलाकर बैठक की। यहां तक कि वन टू वन भी बात की ताकि उनके दर्द और खामियों को समझा जा सके। बुधवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी झाबुआ के दौरे पर थे। पार्टी ने क्षेत्र में लगातार गतिविधियां तेज कर रखी हैं।

फूंक-फूंक कर रख रही कदम
भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। पार्टी ने मिशन 2023 को लेकर छह माह पहले से तैयारियां शुरू कर दी थीं जिसमें हारी हुई सीटों पर फोकस किया गया। उन्हें आकांक्षी विधानसभा का नाम दिया गया, उसकी जिम्मेदारी सत्ता या संगठन के एक बड़े पदाधिकारी को दी गई। क्षेत्र की हर परिस्थिति को संगठन के सामने रख रहे हैं। पिछली बार कहां चूक हुई इसकी भी जानकारी दे रहे हैं ताकि इस बार सुधार किया जा सके।

टिकट वितरण और मिस मैनेजमेंट
गौरतलब है कि पार्टी नेता लगातार आदिवासी नेताओं से बात करके स्थिति को समझने का प्रयास कर रहे हैं। 2018 के चुनाव का लब्बोलुबाब निकाला गया तो कहानी ये निकलकर सामने आई कि पार्टी ने कुछ जगहों पर टिकट वितरण में कहीं न कहीं चूक की थी। इसके अलावा पूरा चुनाव मिस मैनेजमेंट का रहा। संभाग की तरफ से सभी को लावारिस छोड़ दिया गया था। कुछ ही प्रत्याशियों की मदद की गई जो कि संगठन के जवाबदार के खास थे बाकी को उनके हाल पर छोड़ दिया गया।

2013 में था जोरदार प्रदर्शन
भाजपा का 2013 में इंदौर संभाग में जोरदार प्रदर्शन था। 37 सीट में से भाजपा ने 28 सीट पर जीत दर्ज कराई थी। उससे पहले 2003 व 2008 के चुनाव में भी भाजपा को अच्छे रिजल्ट मिले थे।

ये सीटें हारी थी भाजपा
धार जिला - सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धरमपुरी
झाबुआ जिला - झाबुआ, थांदला, पेटलावद
आलीराजपुर जिला - आलीराजपुर, जोबट
खरगोन जिला - भगवानपुरा, भीकनगांव
बड़वानी जिला - राजपुर, पानसेमल, सेंधवा
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