
इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद सदस्य के रूप में पुराने भाजपाई आलोक डाबर की नियुक्ति हो गई। घोषणा ने सबको चौंका दिया, क्योंकि संगठन ने छह माह पहले छह नाम की पेनल पहले भेजी थी, जिसमें डाबर का नाम नहीं था। सच्चाई ये है कि उनके नाम की सिफारिश लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने की थी।
भाजपा में नियुक्तियों का दौर चल रहा है। पार्टी चाहती है कि सरकार के अंतिम दौर में सभी सरकारी पदों पर कार्यकर्ताओं की नियुक्ति हो जाए, जिससे असंतोष की भावना को खत्म किया जा सके। इसके चलते देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में भी कार्यपरिषद सदस्य के लिए प्रदेश संगठन ने स्थानीय संगठन से पेनल बुलाई थी। इसमें सामान्य कोटे से तीन तो पिछड़ा, अजा और अजजा कोटे से एक-एक प्रतिनिधि को लिया जाना था। इस पर नगर भाजपा अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने खुद के नाम सहित छह लोगों की सूची सौंप दी थी। उसमें पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा, अनधा गोरे, सुनिल हार्डिया, घनश्याम शेर और बसंत पारगी का नाम रखा गया था। सूची भोपाल तो पहुंच गई, लेकिन वहां जाकर अटक गई।
इस बीच में दो दिन पहले राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के अवर सचिव शैलेंद्र कियावत ने भाजपा के पुराने नेता आलोक डाबर की नियुक्ति कर दी। घोषणा के बाद स्थानीय स्तर पर दावेदार सकते में आ गए, जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो। ऐसा होना भी वाजिब था, क्योंकि डाबर सामान्य कोटे से आते हैं और उनकी घोषणा का सीधा असर कैलाश शर्मा पर पडऩा है। एक तरह से देखा जाए तो उनका रास्ता रोक दिया गया। अब ये तलाश की गई कि डाबर के बनने का समीकरण क्या है तो चौंकाने वाली कहानी ये सामने आई की उनका नाम लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन (ताई) ने दिया था। जैसे ही ताई की ओर से नाम पहुंचा वैसे ही उस पर राज्यपाल की तरफ से मुहर लग गई। इसके अलावा पूर्व सांसद व वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा ने भी डाबर की मदद की। इधर, पुराने भाजपाई भी नियुक्ति अच्छा मान रहे हैं, क्योंकि डाबर का परिवार जनसंघ के जमाने से जुड़ा हुआ है और लंबे समय वे लूपलाइन में थे।
गौरे के नाम ने किया शर्मा का नुकसान
वैसे तो ताई का कद इतना बढ़ गया है कि लोकसभा स्पीकर होने से वे देश के टॉप पांच नेताओं में आती हैं। इसके साथ में ताई ने स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप करना वैसे तो बंद कर दिया है, लेकिन कुछ मुद्दों पर उनकी रुचि रहती है। महिला मोर्चा की नियुक्ति में वे पद्मा भोजे को बनाना चाहती थीं। पेनल में शर्मा ने नाम नहीं भेजा था, जिसके बाद उन्होंने प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष लता एलकर को बोलकर नियुक्ति करवा दी। कार्य परिषद की नियुक्ति में भी एक नाम ताई को खटक रहा था वह था अनधा गौरे का। ताई उन्हें बिलकुल पसंद नहीं करती हैं। बताते हैं कि शर्मा को गौरे का नाम देने का खामियाजा भुगतना पड़ा।
Published on:
31 Mar 2018 10:52 am
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