इंदौर अपनी ताकत से लगातार बढ़ने वाला शहर। 18वीं शताब्दी में भी इंदौर व्यापार का केंद्र था और आज भी है। ऑटो कम्पोनेंट की इंडस्ट्रीज हो या यहां स्थित पॉलिमर इंडस्ट्रीज ये तमाम उद्योग भी इंदौर से दुनिया को आपूर्ति कर रहे हैं। बदले में विदेशी मुद्रा देश की झोली में डाल रहे हैं। सोया प्रदेश बन चुके मप्र से सबसे ज्यादा सोयामील का निर्यात भी इंदौर से हो रहा है। डेढ़ सौ से ज्यादा छोटी बड़ी आई टी इंडस्ट्रीज और सेज में अधुसूचित आईटी पार्क सेवा क्षेत्र के निर्यात में मप्र ही नहीं मध्यभारत में अव्वल है। तटीय क्षेत्र न होना या समुद्र से दूरी के बावजूद इंदौर के कदम विदेश व्यापार में नहीं रुके। धन्नड़ और टीही का ड्राय पोर्ट और इनलैंड कन्टेनर डिपो इंदौर में बन्दरगाह की कमी पूरा कर विदेश व्यापार की रेस में उसे आगे बना रहा है।
250 सालों से गुलजार ये बाजार
इंदौर सालों से मध्यभारत का बड़ा व्यापारिक केंद्र रहा है। सोने-चांदी के लिए सराफा बाजार, किराना वस्तुओं के लिए सियागंज बाजार, कपडों के लिए क्लॉथ मार्केट, मसालों के लिए मारोठिया बाजार, आलू-प्याज के लिए चोइथराम मंडी, अनाज के कारोबार के लिए छावनी मंडी अब भी पूरे इलाके के बड़े व्यापारिक केंद्र हैं ।
देश ही नहीं विदेशों में काबली चने की छाप
छावनी अनाज मंडी की स्थापना 1935 में हुई। मंडी 18 एकड़ में फैली हुई है। यहां का रेवेन्यू प्रति माह 50 से 60 करोड़ का है। यहां का काबली चना देश ही नहीं विदेशो में अपने स्वाद का परचम लहरा रहा है। विदेशी में यहां की ंकंपनियों को अपने खर्च पर व्यापार करने के लिए बुलाया जा रहा है। वर्तमान में दुबई में तीन कालबी चने की कंपनियां कारोबार कर रही है। इंदौर मंडी में तुवर, मसूर और उड़द का आयात लगातर हो रहा है, वहीं सोयाबीन और काबली चने का यहां से निर्यात अच्छी खासी मात्रा में किया जाता है। इंदौर के बढ़ते हब को एक नया प्लेटफॉम की जरूरत है। ताकि इंदौर का कारोबार बढ़ने के साथ ही यहां का राजस्व बढ़े। संजय अग्रवाल, अध्यक्ष अनाज-तिलहन व्यापरी संघ