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सरकारी महकमे में पद की दबंगई, अनुपातहीन संपत्ति के केस दोगुना

भ्रष्टाचार पर वार: पहली बार सजा के साथ 2 करोड़ जुर्माना, इस साल छह केस में संपत्ति राजसात की अनुमति, पिछले साल से तीन गुना  

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सरकारी महकमे में पद की दबंगई, अनुपातहीन संपत्ति के केस दोगुना

सरकारी महकमे में पद की दबंगई, अनुपातहीन संपत्ति के केस दोगुना

वर्ष 2023 भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती के नाम रहा। लोकायुक्त में दर्ज केस से पता चलता है कि सरकारी महकमे मेें पद की दबंगई छाई रही। रिश्वत में ट्रैप के मामले कम हुए, लेकिन अनुपातहीन संपत्ति के केस दोगुना हो गए। इस साल पहली बार भ्रष्टाचार मामले में पंचायत सीईओ को सजा के साथ कोर्ट ने दो करोड़ का जुर्माना भी लगाया। छह केस में संपत्ति राजसात करने की शासन से अनुमति मिली।
भ्रष्टाचार मामलों में कार्रवाई करने वाले लोकायुक्त संगठन द्वारा एक साल में की गई कार्रवाई के आंंकड़े से कुछ ऐसा ही संदेश सामने आ रहा है। एसपी सव्यसांची सराफ के नेतृत्व में डीएसपी प्रवीणसिंह बघेल, आनंद यादव, संतोषसिंह भदौरिया, दिनेशचंद्र पटेल, अनिरुद्ध वाधिया, आरडी मिश्रा की टीमों ने लगातार कार्रवाई की। जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश करने में भी विभाग अव्वल रहा। वर्ष 2023 में लोकायुक्त में 43 केस दर्ज हुए, 2022 में यह संख्या 42 थी। 2023 में अनुपातहीन संपत्ति के पांच प्रकरण पंजीकृत हुए, 2022 में दो केस दर्ज हुए थे। लोकायुक्त अफसरों के मुताबिक, न्यायालय ने जनपद पंचायत सेंधवा के सीईओ लाखनसिंह राजपूत के केस में चार वर्ष के कारावास की सजा के साथ दो 2 करोड़ के जुर्माने की सजा सुनाई। इंदौर में पहली बार कोर्ट ने इतना बड़ा जुर्माना लगाया। इस साल पद के दुरुपयोग के 18, जबकि पिछले वर्ष 10 प्रकरण पंजीकृत हुए थे।
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संपत्ति राजसात के प्रस्ताव मंजूर

वर्ष 2023 में मप्र विशेष न्यायालय अधिनियम 2010 के अंतर्गत संपत्ति राजसात करने के छह केस भेजे गए। सभी में सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुमति दी। पिछले वर्ष दो प्रकरणों को अनुमति मिली थी। भ्रष्टाचार संबंधी छह केस में दो आबकारी के हैं।

- तत्कालीन आबकारी उपायुक्त जगदीश राठी की संपत्ति राजसात का प्रस्ताव मंजूर हुआ, वर्ष 2013 में मारा था छापा।

- तत्कालीन आबकारी उपायुक्त नवलसिंह जामोद की संपत्ति के राजसात प्रस्ताव को मंजूरी, 2014 में कार्रवाई हुई थी।

- महेश्वर जनपद पंचायत के कर्मचारी बाबूलाल पटेल के केस में मंजूरी, 2014 में पड़ा था छापा।

- लोक निर्माण विभाग के टाइमकीपर कृपालसिंह की संपत्ति राजसात का प्रस्ताव मंजूर, 2014 में पड़ा था छापा।

- पंजीयक सुधीर मिश्रा का मामला, 2014 में रिश्वत लेते पकड़ा तो संपत्ति की भी जांच हुई।

- देपालपुर पंचायत सचिव योगेश दुबे की संपत्ति राजसात करने का मामला, चार साल पहले हुई थी कार्रवाई।

चालान पेश करने में बना रेकॉर्ड

वर्ष 2023 में चालान पेश करने में रेकॉर्ड बना। सालों से अनुमति के लिए अटके मामलों को मंजूरी मिली। अब तक 87 केस में चालान पेश हुआ, जबकि वर्ष 2022 में 37 व 2021 में 34 मामलों में चालान पेश हुए थे।

21 मामलों में सजा
वर्ष 2023 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत गठित विशेष न्यायालयों द्वारा 21 प्रकरणों में सजा दी गई। 11 मामलों में आरोपी दोषमुक्त हुए, इन सभी में हाई कोर्ट में अपील की गई है।

पांच-पांच लाख की रिश्वत के दो केस
2023 में रिश्वत के 20 मामले हुए, जबकि पिछले साल ट्रैप के 30 केस थे। पांच मामलों में पटवारी, पांच में पंचायत सचिव व चार मामलों में पुलिसकर्मी ट्रैप हुए। बाकी अन्य विभागों के थे। रिश्वत के मामले कम पकड़े गए। हालांकि दो मामले पांच-पांच लाख की रिश्वत के थे। एक केस एमएम श्रीवास्तव, उप अंकेक्षक सहकारिता विभाग का तो दूसरा रविकांत उइके, सीईओ जनपद पंचायत सेंधवा का था।