
navdurga
शुक्रवार 8 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही हैं। नवदुर्गा की पूजा के लिए यह पूरे साल में सबसे अच्छा समय माना जाता है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण होता है नवरात्रि के पहले दिन माता का घट स्थापना करना। अगर माता के घट की सही मुहूर्त में स्थापना की जाए तो माता के नौ दिन की पूजा सफल होती है। साथ ही दुर्गा के नौ रूपों में मां उस घर पर विशेष कृपा बरसाती हैं।
इस बार कलश स्थापना के तीन शुक्ष मुहूर्त ज्ञानियों द्वारा बताए गए हैं। शुक्रवार सुबह 6.07 मिनट से 9.15 बजे तक, दोपहर में अभिजीत मुहूर्त 11.30 से 12.29 तक और फिर 12.49 से 1.57 तक कलश की स्थापना शुभ फल देने वाली होगी। वैसे तो ये तीनों ही मुहूर्त अतिउत्तम हैं लेकिन अभिजीत मुहूर्त में कलश की स्थापना सबसे उत्कृष्ट मानी जाती है।
ये नवरात्रि मान्यता के आधार पर केवल 8 दिन की ही हैं। इसमें 14 अप्रैल को अष्टमी की पूजन की जाएगी। इस दिन श्रद्धालु माता के महागौरी रूप की आराधना करते हैं। इसके बाद 15 तारीख को श्रीराम नवमी मनाई जाएगी, साथ ही माता की नवमी पूजन भी की जाएगी। कन्या भोजन के लिए 16 अप्रैल का दिन शुभ फल देने वाला है।
कलश स्थापना विधि
सबसे पहले कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का होना चाहिए। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। पूजा आरंभ के समय ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः कहते हुए अपने ऊपर जल छिड़कें। अपने पूजा स्थल से दक्षिण और पूर्व के कोने में घी का दीपक जलाते हुए, ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तु ते। मंत्र का जाप करते हुए दीप प्रज्जवलित करें। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ भगवान गणेश की मूर्ति रखें। पूजा स्थल के उत्तर.पूर्व भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज, नदी की रेत और जौ को ॐ भूम्यै नमः कहते हुए डालें। इसके बाद हल्दी, चंदन, रोली चढ़ाकर माता का ध्यान करते हुए पूजन करें। कलश में कलावा बांधना चाहिए।
Published on:
07 Apr 2016 11:33 pm
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