
check : यदि चेक बाउंस हो गया है, तो यह खबर खत्म करेगी आपकी परेशानी
check : इंदौर. चेक बाउंस से जुड़े केसों के निराकृत होने की धीमी चाल और दोषियों को कम सजा मिलने से कानून में संशोधन की तैयारी है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 में संशोधन पर बात हो रही है। आम जनता को त्वरित न्याय दिलाने के सिद्धांत के चलते इस दिशा में काम किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय विधि विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी देशभर से आए सुझावों पर विचार कर रही है। इंदौर के लॉ प्रोफेसर पंकज वाधवानी के सुझावों पर भी विमर्श हो रहा है। पीएमओ से वाधवानी को इस बारे में जानकारी दी गई है।वाधवानी ने बताया, उधार दिए पैसों की वसूली के लिए बनाए इस कानून का प्रभाव कम हो रहा है। कोर्ट केस में 4 से 6 महीने की तारीखें मिल रही हैं। सजा का प्रावधान भी कम है। इसके अलावा उधार पैसा देने वाले को अपना ही पैसा वापस लेने के लिए दी गई राशि का पांच फीसदी पहले कोर्ट में जमा करना होता है। वकीलों की फीस अलग होती है, जबकि आरोपी पर आर्थिक भार नहीं होता है। पक्षकारों की परेशानी के चलते नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में संशोधन का ड्राफ्ट केंद्र सरकार को भेजा गया है। बदलाव होने से लोगों को न्याय जल्द मिलेगा।
ये आ रही समस्याएं
- अपने ही धन की वसूली में कई वर्ष लगना
- चेक बाउंस केस में खर्चीला न्याय शुल्क
- चेक बाउंस में सजा एवं जुर्माना कम होना
ये हैं नियम
एक लाख तक के चेक बाउंस में केस लगाने पर चेक राशि का 5 प्रतिशत अर्थात 5000 रुपए न्याय शुल्क देना पड़ता है।
कोर्ट में 30 प्रतिशत केस चेक बाउंस के
वाधवानी के शोध में पता चला कि देशभर की अधीनस्थ न्यायालयों में 30 फीसदी मामले चेक अनादरण के हैं। सुप्रीम कोर्ट ऐसे केसों की चल्द सुनवाई के आदेश दे चुकी है। अभी देश में चेक बाउंस के करीब 40 लाख केस विचाराधीन हैं।
Published on:
01 Mar 2022 03:26 pm
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